उदित वाणी, जमशेदपुर: भारत सरकार देश की आम जनता को किफायती और पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन के विकल्प उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके तहत, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को देखते हुए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं. इनमें सबसे प्रमुख है ‘फेम-इंडिया’ योजना, जिसका उद्देश्य हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और उत्पादन को बढ़ावा देना है.
फेम-इंडिया योजना का इतिहास और विकास
‘फेम-इंडिया’ योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2015 से हुई थी, जिसे पहले चरण में 2 साल की अवधि के लिए मंजूरी दी गई थी. इस योजना के पहले चरण में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया गया. इसके बाद, 2019 में दूसरे चरण यानी फेम-II की शुरुआत हुई, जिसमें 11,500 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया. इस चरण में दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया वाहनों, इलेक्ट्रिक बसों और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों (पीसीएस) के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया गया.
योजना का वित्तीय विवरण और प्रभाव
31 अक्टूबर 2024 तक इस योजना के तहत कुल 8,844 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसमें 6,577 करोड़ रुपये की सब्सिडी, 2,244 करोड़ रुपये पूंजीगत परिसंपत्तियों पर और 23 करोड़ रुपये अन्य खर्चों के लिए आवंटित किए गए हैं. इस योजना के तहत 16.15 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन मिला है, जिनमें 14.27 लाख ई-2डब्ल्यू (दो पहिया), 1.59 लाख ई-3डब्ल्यू (तीन पहिया), 22,548 ई-4डब्ल्यू (चार पहिया) और 5,131 ई-बसें शामिल हैं.
चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और भविष्य की दिशा
इसके साथ ही, इस योजना के तहत 10,985 ईवी पीसीएस (इलेक्ट्रिक व्हीकल पब्लिक चार्जिंग स्टेशन) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 8,812 पीसीएस की स्थापना के लिए आवंटन किया गया है. इस योजना में चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम भी शामिल है, जो भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में सतत परिवर्तन को सक्षम बनाता है.
सतत गतिशीलता में योगदान
यह योजना न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह सरकार की नीतियों में किए गए महत्वपूर्ण बदलावों का भी हिस्सा है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी में कमी और राज्यों की ईवी नीतियों को समर्थन देना. इन प्रयासों का उद्देश्य भारत की सतत गतिशीलता की दिशा में योगदान देना और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को हासिल करना है.
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