उदित वाणी, जमशेदपुर : भारत में ई-वेस्ट एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, सीपीसीबी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में भारत ने 10,14,961.2 टन ई-कचरा पैदा किया था. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 और 18-19 के लिए ई-कचरा कलेक्शन का लक्ष्य क्रमश: 35,422 टन और 154,242 टन था. लेकिन वास्तविक कलेक्शन 2017-18 में जहां 25,325 टन था, वहीं 2018-19 में यह केवल 78,281 टन रहा. इसका मतलब है कि भारत ने 2018 में केवल 3 फीसदी कचरा कलेक्ट किया था जबकि 2019 में वो केवल 10 फीसदी था. इसका मतलब है कि इस कचरे की एक बहुत बड़ी मात्रा कलेक्ट ही नहीं होती है. पैनल रिपेयर फैक्ट्री इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ बाक्शी सांगवान भारत में उत्पादित ई वेस्ट को कम करने को ले कर देश के लोगो को जागरुक कर रहे है.
ई-वेस्ट के कारण मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे
ई-वेस्ट को गैर-वैज्ञानिक तरीके से निपटाने किए जाने की वजह से पानी, मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे हैं. जो स्वास्थ्य के लिए भी समस्या बनते जा रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक कचरा मोटे तौर पर फेंके हुए, बचे हुए, टूटे हुए, समय के साथ बेकार हो चुके इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिनमें इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का समावेश होता है, घरों और उद्योगों में जिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वहीं बेकार फेंका हुआ कचरा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (ई-वेस्ट) कहलाता है.
आशियाना गार्डेन, सोनारी में बनाया गया ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर
सोनारी आशियाना गार्डेन में शहर का पहला ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर स्थापित किया गया है. यहां खराब मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर के अलावा अन्य खराब पड़े इलेक्ट्रॉनिक सामान का कलेक्शन किया जा रहा है. शहर में ऐसे कलेक्शन सेंटर और भी बनाने की आवश्यकता है.
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