पोड़ोम जिलु से लेकर संधना का आचार के स्टाल
उदित वाणी, जमशेदपुर: गोपाल मैदान में आदिवासी समाज के पारंपरिक व्यंजनों के यहां कई स्टाल लगे हैं. इनमें कुक्कुट हाव यानी लाल चींटी, पोड़ोम जिलू यानी पत्तों में बनाई गई चिकन, सिमजील पीठा, सिमजील लेटो, सुकरीजील पीठा, सुकरीजील भाजा, होतोत पीठा जैसे व्यंजनों का स्वाद चखने की होड़ लगी थी.
पारंपरिक व्यंजनों के साथ नए तौर तरीके के साथ तैयार आदिवासी व्यंजन और आचार चटनी चाट-चाट कर चखने वालों की भीड़ अंतिम दिन दिखी.
सांधना यानी बांस की कोंपलों को बारिक काट कर तैयार की गई आचार का स्वाद भी खास दिखा और इसके लिए लोग कतारबद्ध दिखे. आदिवासी व्यंजन का स्टॉल लगाने वाली करनडीह की सगुन समिति में सर्दी के दिनों में लाल चींटी यानी देमता चीटी या हाव की चटनी खाने का अलग ही आनंद है. यह इम्युनिटी बुस्टर तो है ही विटामिटन सी से भरपुर होता है.
इसे लोग चाव से खाते हैं. संवाद कार्यक्रम में देशभर से आई 186 जनजातियों के 2500 से अधिक प्रतिनिधि अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल पर भी भीड़ दिखी.
नार्थ ईस्ट के विशेष जनजातीय व्यंजनों को चखने का होड़ भी रहा जिसमें खास तौर पर पोर्क बेस्ड खाद्य उत्पाद जनजातीय समुदाय के लोग खास उत्साह के साथ खरीद रहे थे. गोपाल मैदान में जनजाति कला और हस्तशिल्प के भी कई स्टॉल लगे हुए हैं. यहां से भी लोग खरीदते दिखे.
छतीसगढ़ के स्टॉल में रैनिंग बंबू थी खास
छतीसगढ़ के एक स्टॉल में पारंपरिक तीर कमान के अलावा बंबू क्राफ्ट के एक से बढ़ कर एक आइटम से थे. इनमें घुमाने पर सुर निकालने वाली बांस की डंडी और बारिश की ध्वनि सुनाने वाली रैनिंग बंबू की भी खास डिमांड थी.
इसके अलावा पारंपरिक तीर कमान पांच सौ रुपए में दो तीरों के साथ उपलब्ध थी. 15 नवंबर से आरंभ हुआ संवाद आज संपन्न हो गया लेकिन इससे पहले स्टॉल और दुकानों में
भरी भीड़ देखने को मिली.
जनजातीय जायकों को परोसने का तरीका बताने आई हैं ताज होटल की दो शेफ गोपाल मैदान में चल रहे संवाद के आतिथ्य कॉर्नर में जनजातीय व्यंजन आकर्षण के केन्द्र रहे.
इन जनजातीय व्यंजनों को परोसने और उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए मुंबई की दो शेफ-अपेक्षा चौहान और मेगामी मेहता आई हैं. उन्होंने बताया कि वे मुंबई के ताज होटल से जुड़ी हैं और जनजातीय लोगों द्वारा बनाए जाने वाले व्यंजनों को कैसे बेहतर तरीके से परोसा और मेनू को डिजाइन किया जाय? इस बारे में ट्रेन्ड करने आई हैं. उन्होंने बताया कि ट्राइबल क्यूजिन में काफी वेरायटी हैं.
हम पहली बार संवाद में आए हैं. काफी अच्छा अनुभव रहा हैं.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।