आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में राष्टीय शिक्षा नीति 2020 पर कॉनक्लेव आयोजित
उदित वाणी, जमशेदपुरः भिलाईपहाड़ी स्थित आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी जमशेदपुर में राष्टीऊय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित कॉनक्लेव का उद्घाटन शुक्रवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने दीप प्रज्जवलित कर किया. उनका स्वागत आरवीएस ट्रस्ट के अध्यक्ष बिन्दा सिंह ने पुष्प गुच्छ दे कर एवं शॉल ओढ़ाकर किया.
यहां नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार विषय पर बोलते हुए झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति मानसिक रूप से अंग्रेजों के गुलाम रखने की थी. नई शिक्षा नीति भारत में शिक्षा का एक नया अध्याय जुड़ेगी.
राज्यपाल ने कहा कि बहुत दुख की बात है की आजादी के 73 साल बाद भी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बनी है.
किसी भी देश में राष्ट्रभाषा प्रमुख होती है. संविधान में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का उल्लेख है. आज शिक्षा में काफी असमानता है. गरीब बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ सकते तो शहरी बच्चे हिंदी नहीं. इस असमानता को दूर करने का प्रयास नई शिक्षा नीति में किया गया है. इस नीति के तहत विद्यार्थियों का साल बर्बाद नहीं होगा. उन्होंने बच्चों पर बोझ नहीं डालने को कहा.
झारखंड के सारे विश्वविद्यालय के कुलपति नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उम्मीद है इस साल से इस नीति का असर झारखंड के विश्वविद्यालयों में देखने को मिलेगा. वर्तमान में जो पढ़ाई हो रही है वह सिर्फ नौकरी के लिए हैं. इससे हमको अलग होना पड़ेगा. हमें ज्ञान अर्जित करने के लिए पढऩा होगा. पहले राष्ट्रभाषा को जानें, उसके बाद अन्य भाषाओं को भी सीखें.
रमेश बैस ने नयी शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरे देश में नयी शिक्षा नीति पर मंथन चल रहा है. उन्होंने कहा कि देश स्वतंत्र होने के 73 वर्षों के बाद भी देश में हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है बल्कि राज्यभाषा रह गयी है. अंग्रेजी भाषा का ही इस्तेमाल हर जगह होता है और इस कारण शिक्षा प्रणाली में कोई बदलाव आजादी के बाद भी नहीं आयाअ कालांतर में कई बार शिक्षा नीति लायी गई लेकिन वह कारगर नहीं हुई.
वर्ष 2020 में जो नयी शिक्षा नीति लाई गई है वह काफी बेहतर है. वैसे इस नयी शिक्षा नीति को केंद्र सरकार ने देश पर थोपा नहीं है बल्कि इसे पब्लिक डोमेन पर लाया और सभी से इसे अपनाने की अपील की. उन्?होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत तमाम असामानताओं को दूर किया गया है, जिस कारण सभी को इसे अपनाने की जरूरत है.
जल्द से जल्द झारखंड के तमाम विश्विद्यालयों को इस नीति को लागू करना चाहिए. इसकी तैयारी झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में चल रही है, लेकिन अभी तैयारी पूरी नहीं है. उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के साथ कॉलेज के अध्यक्ष बिन्दा सिंह, सचिव भरत सिंह, कोषाध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह, कार्यकारी सदस्य शक्ति सिंह, निदेशक प्रो (डॉ) आरएन गुप्ता, प्राचार्य प्रो (डॉ) राजेश कुमार तिवारी, डॉ विजय पाण्डेय, कुलपति, झारखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, डॉ अरूण कुमार चौधरी, रजिस्ट्रार, झारखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, डॉ गोपाल पाठक, कुलपति सरला बिरला विश्वविद्यालय, डॉ नितेश पुरोहित, डीन, आईआईआईटी इलाहाबाद, प्रयागराज एवं प्रो एसएस रजी, कुलपति अरका जैन विश्वविद्यालय आदि मौजूद थे.
शिक्षा के विकास पर जोर देना आवश्यक : भरत सिंह
मौके पर कॉलेज के सचिव भरत सिंह ने स्वागत भाषण में आए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि झारखण्ड राज्य में शिक्षा के विकास पर जोर देना अति आवश्यक है और इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमने आरवीएस ट्रस्ट की स्थापना की. अब हमें आगे बढऩे के लिए राज्य सरकार की मदद की जरूरत है. सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उड़ीसा राज्य के शिक्षा-ओ-अनुसंधान विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के उपकुलपति प्रो. (डॉ) प्रदिप्ता कुमार नन्दा ने कहा कि समाज को सभ्य बनाने के लिए शिक्षा तो जरूरी है हि लेकिन उच्च शिक्षा भी जरूरी है, लोगों में रंगभेद स्थानीयता आदि की सोच बदलने की जरूरत है.
इसी प्रकार सरल बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गोपाल पाठक ने भारतीय शिक्षा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी आजादी से पहले हमारी शिक्षा प्रणाली काफी सुदृढ़ थी परंतु आजादी के बाद हम कमजोर होते गए. आज के छात्रों पर विषय को लेकर ज्यादा बोझ है, और नई शिक्षा नीति में इसका निदान है. जो छात्र किसी विषय में कमजोर है तो वो छात्र अपना विषय बदल कर भी पढ़ाई जारी रख सकते हैं.
अब इस शिक्षा नीति को पूरी जिम्मेदारी के साथ लागू करना हम सभी शिक्षाविदों का कर्तव्य है. कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के प्राचार्य प्रो (डॉ) राजेश कुमार तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.
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