उदित वाणी, जमशेदपुर: दयानंद पब्लिक स्कूल में 9वीं और 11वीं के 20 बच्चों को फेल कर दिया गया है. गुरुवार को फेल बच्चों के परिजनों ने स्कूल पहुंचकर हंगामा किया और बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट करने की मांग की.
हालांकि स्कूल की प्रिंसिपल स्वर्णा मिश्रा ने काउंसिल के नियमों का हवाला देते हुए बच्चों को प्रमोट करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. इसके बाद परिजन प्रबंधन की शिकायत करने उपायुक्त कार्यालय पहुंचे. वहां से उन्हें जिला शिक्षा कार्यालय भेजा गया. परिजनों ने जिला शिक्षा कार्यालय में मामले की लिखित शिकायत की है.
कक्षा 11सी की छात्रा गुरजीत कौर की मां कमलजीत कौर ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही स्कूल में पढ़ रही है. एक माह पूर्व स्कूल में परीक्षा हुई थी, जिसमें उनकी बेटी को फेल कर दिया गया था.
इसके बाद स्कूल प्रबंधन की ओर से दोबारा से री-टेस्ट लिया गया, जिसमें फिर से उनकी बेटी को फेल कर दिया गया है. अब स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि प्रबंधन फेल हुए बच्चों को प्रमोट नहीं कर सकता. उन्हें उसी कक्षा में फिर से पढ़ाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि बच्चों की भविष्य की जिम्मेदारी जितनी परिजनों की होती है उतनी ही स्कूल की भी होती है, पर स्कूल प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं लेता है.
अब उनकी बेटी को एक साल पीछे छोड़ने को कहा जा रहा है. इधर उपायुक्त कार्यालय पहुंची रजनी तिवारी ने बताया कि वे अपने बच्चे को काफी मुश्किल से पढ़ा रही हैं. स्कूल प्रबंधन द्वारा फेल करना काफी गलत है. प्रबंधन को अगली कक्षा में प्रमोट करना ही चाहिए.
काउंसिल के नियमों का कर रहे पालन : प्रिंसिपल
मामले के संबंध में दयानंद पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल स्वर्णा मिश्रा ने बताया कि 9वीं और 11वीं कक्षा के कुल 40 बच्चे परीक्षा में फेल हो गए थे. सभी ने 35 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त किए थे.
सभी को दोबारा अवसर देते हुए रि-टेस्ट लिया गया था, जिसमें लगभग 20 बच्चे पास कर गए थे. इन 20 बच्चों को काउंसिल के नियम के अनुसार अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया पर फेल किए गए बच्चों को नहीं प्रमोट किया गया. इसी को लेकर परिजन स्कूल पहुंचे थे और बच्चों को प्रमोट करने की मांग कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि काउंसिल के नियमों के अनुसार फेल किए गए बच्चों को रि-टेस्ट में पास करने के बाद ही प्रमोट किया जा सकता है.
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