उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग और पथ पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला का 13वां दिन उत्साह और ऊर्जा से भरा रहा. इस दिन कार्यशाला का प्रमुख ध्यान सुर, लय और संवाद अदायगी की तकनीकों पर था, जो नाट्य प्रदर्शन में आवश्यक और महत्वपूर्ण तत्व माने जाते हैं.
मुख्य प्रशिक्षक का विशेष मार्गदर्शन
मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम ने प्रतिभागियों को संवाद अदायगी के एलेक्ज़ेंडर तकनीक के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने उदाहरण के माध्यम से यह समझाया कि एक अभिनेता की आवाज़ न केवल संवादों को जीवन देती है, बल्कि मंच पर उसके पूरे व्यक्तित्व और उपस्थिति को भी सशक्त बनाती है. श्री निज़ाम ने यह भी बताया कि कैसे हमारी आवाज़ समय के साथ बदलती रहती है और एक प्रशिक्षित अभिनेता इस बदलाव को समझकर अपनी आवाज़ और गायन को प्रभावशाली बना सकता है.
स्वराभ्यास और सामूहिक गायन
इस दिन के सत्र में नियमित स्वराभ्यास, सांस नियंत्रण और सुर के उतार-चढ़ाव को साधने की तकनीकों पर भी गहन चर्चा की गई. कार्यशाला के इस हिस्से में प्रतिभागियों को सामूहिक गायन और कोरस गीतों का अभ्यास कराया गया, जिससे उन्हें न केवल संगीत में नाटकीय प्रभाव उत्पन्न करने की कला सिखाई गई, बल्कि सामूहिक तालमेल और भावनाओं की अभिव्यक्ति के महत्व को भी समझाया गया.
कार्यशाला का प्रभाव
प्रतिभागियों ने इस सत्र को अत्यंत लाभकारी और प्रेरणादायक बताया. उन्हें यह अनुभव हुआ कि सुर और लय के माध्यम से उनका अभिनय कौशल और मंचीय प्रस्तुति में आत्मविश्वास बढ़ा है. कार्यशाला के आयोजकों ने भी प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और उत्साह की सराहना की.
आने वाले सत्रों का पूर्वानुमान
यह कार्यशाला आगामी दिनों में अभिनय, संवाद अदायगी, शरीर भाषा, रंगमंचीय संगीत और निर्देशन तकनीकों जैसे विषयों पर केंद्रित सत्रों के साथ जारी रहेगी. कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को रंगमंच की बारीकियों से सुसज्जित करना और उन्हें एक सक्षम और सशक्त रंगकर्मी के रूप में विकसित करना है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।