उदित वाणी, रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि यदि राज्य सरकार की गलती के कारण पर्यावरण मंजूरी में देरी होती है और सरकारी नीलामी रद्द हो जाती है, तो बोलीदाता (बिडर) को उनकी बयाना राशि और सुरक्षा जमा राशि वापस करने का हक होगा. न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति नवनीत कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार के खान और भूविज्ञान विभाग को निर्देश दिया है कि यदि बोलीदाता संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन करते हैं, तो उनका उचित विचार किया जाए और कानून के अनुसार आदेश पारित किया जाए.
बालू घाटों की नीलामी और याचिका का संदर्भ
यह मामला झारखंड सरकार के खान एवं भूविज्ञान विभाग द्वारा पलामू और पाकुड़ जिलों में बालू घाटों के बंदोबस्त के लिए शुरू की गई नीलामी प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है. याचिकाकर्ताओं ने नीलामी में भाग लिया था और उन्हें आशय पत्र जारी किए गए थे. इसके बाद, 60 दिनों के भीतर आवश्यक दस्तावेज जमा करने की शर्त के तहत उन्होंने बयाना राशि और सुरक्षा जमा राशि दी. लेकिन, राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण नीलामी रद्द कर दी गई.
पर्यावरण मंजूरी में देरी पर याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस कदम को चुनौती दी थी, यह दावा करते हुए कि एसईआईएए द्वारा पर्यावरण मंजूरी में देरी पूरी तरह से प्रशासनिक चूक थी, और इसका कोई दोष बोलीदाताओं पर नहीं डाला जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि 60 दिनों की समयसीमा मनमानी थी और इसे निर्देशिका के रूप में माना जाना चाहिए था, न कि अनिवार्य शर्त के रूप में. याचिकाकर्ताओं ने यह भी आग्रह किया कि एसईआईएए को बिना देरी के उनके पर्यावरण मंजूरी आवेदनों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएं.
बयाना राशि और सुरक्षा जमा की वापसी का आदेश
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बालू घाट बंदोबस्त को रद्द करने पर जोर नहीं दिया, बल्कि उन्होंने केवल बयाना राशि और सुरक्षा जमा राशि की वापसी की मांग की. राज्य सरकार ने इस पर कोई विरोध नहीं किया और कहा कि खान और भूविज्ञान विभाग इस संबंध में विधिवत विचार करेगा. अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को अपनी जमा राशि की वापसी के लिए खान एवं भूविज्ञान विभाग के सचिव से व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने का अधिकार दिया. न्यायालय ने विभाग को सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ ऐसे आवेदनों का परीक्षण करने और कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया.
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