उदितवाणी, घाटशिला: झारखंड का पहला जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का यह प्रयास अब धरातल पर उतरता हुआ नजर आ रहा है. पिछले कार्यकाल में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने घाटशिला प्रखंड के हेंदलजुड़ी में पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया था. अब इस प्रस्ताव पर कार्रवाई आगे बढ़ रही है और भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है.
भूमि उपलब्धता और प्रक्रिया की तेजी
पूर्व में ही झारखंड सरकार ने 14.62 एकड़ परती भूमि विश्वविद्यालय के लिए आवंटित कर दी थी. इसके बाद अब 21.23 एकड़ भूमि, जो झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जियाडा) की है, उसे भी विश्वविद्यालय के लिए सौंपने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. उच्च शिक्षा निदेशक राम निवास यादव ने जियाडा के निदेशक से भूमि सौंपने की प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया है.
जनजातीय विश्वविद्यालय का महत्व
इस विश्वविद्यालय की स्थापना से न केवल जनजातीय भाषाओं के छात्रों को लाभ होगा, बल्कि इस क्षेत्र में शिक्षा का भी तेजी से विकास होगा. झारखंड राज्य का यह पहला जनजातीय विश्वविद्यालय और संभवतः देश का दूसरा जनजातीय विश्वविद्यालय होगा. इससे क्षेत्रीय छात्रों को उच्च शिक्षा की बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी.
स्थानीय समुदाय का उत्साह
इस प्रक्रिया के आगे बढ़ने से स्थानीय लोगों और समूचे राज्यवासियों में एक सुखद अनुभूति है. लोग वर्तमान शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं और उनके सकारात्मक प्रयासों की सराहना कर रहे हैं.
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