उदित वाणी, जमशेदपुर: शुक्रवार की संध्या को विजय दिवस के अवसर पर गोलमुरी स्थित शहीद स्थल पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में संगठन के वरिष्ठ सदस्य और 1971 के युद्धवीर हवलदार सत्येंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “मन भी अर्पण, तन भी अर्पण, हे मातृभूमि, तेरे खातिर मेरा सारा जीवन है अर्पण.”
कार्यक्रम की शुरुआत और शहीदों को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम की शुरुआत 1971 के युद्धवीरों द्वारा शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई. वीर शहीद अमर रहें और भारत माता की जय के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा. इसके बाद संगठन के सदस्यों ने ‘संगठन गीत’ प्रस्तुत किया, जो शहीदों के प्रति श्रद्धा और सम्मान को प्रकट करता था.
युद्धवीरों का सम्मान और ऐतिहासिक विजय की चर्चा
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा 1971 के युद्धवीरों को सम्मानित किया गया. परिषद ने कहा कि सैनिकों का सम्मान संगठन की मूल आत्मा है. युद्धवीरों ने बांग्लादेश की ऐतिहासिक विजय की दास्तान साझा करते हुए बताया कि 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने मात्र 13 दिनों में भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे, जिसके बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ. इस ऐतिहासिक विजय के जश्न में ही विजय दिवस मनाया जाता है.
कार्यक्रम का उद्देश्य और युवा पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम का ज्वार
कार्यक्रम का उद्देश्य शूरमाओं की शहादत और वीरों के शौर्य से लौहनगरी की युवा पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम का ज्वार उत्पन्न करना था. कार्यक्रम में तीनों सेनाओं से सेवानिवृत्त सैनिकों और सिविल समाज के लोग उपस्थित रहे. साथ ही, भारतीय थल सेना से सेवानिवृत निरंजन सिंह को पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया.
समारोह का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
समारोह का समापन सार्जेंट राजीव और रमेश द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. इस मौके पर संगठन के संस्थापक वरुण, जिला अध्यक्ष विनय यादव, जिला महामंत्री जितेंद्र सिंह, अवधेश, सुखविंद्र सिंह, एस के सिंह, मनोज सिंह, डी एन सिंह, उमेश शर्मा, राजीव कुमार, सत्येंद्र सिंह सतेंद्र, गौतम लाल, एस के सिंह, शशि भूषण, शेखर सुमन, हरिसैंडिल, पंकज, धीरज, एच् यम भारती, दीपक शर्मा, निरंजन कुमार, बीरेंद्र सिंह, विनेश, अजीत समेत अन्य पूर्व सैनिक उपस्थित रहे.
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