
उदित वाणी, जमशेदपुर : कदमा थाना में दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने गई एक पीड़िता से एक लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में बड़ा प्रशासनिक एक्शन सामने आया है। वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पीयूष पांडेय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिटी एसपी कुमार शिवाशीष की जांच रिपोर्ट के आधार पर कदमा थाना के सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार दास को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
पूरा मामला तब सामने आया जब पीड़िता ने भाजपा के पूर्व जिला प्रवक्ता अंकित आनंद को बताया कि कदमा थाना में 3 और 4 जून को एफआईआर दर्ज कराने के एवज में एसआई सुनील दास ने एक लाख रुपये की मांग की थी। इस पर श्री आनंद ने पीड़िता एवं उसके भाई के साथ 5 जून को वरीय पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत सौंपी। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी, कोल्हान डीआईजी और झारखंड राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकार को टैग करते हुए सोशल मीडिया पर भी मामला उठाया।
एसएसपी के निर्देश पर सिटी एसपी ने की जांच
एसएसपी पांडेय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सिटी एसपी कुमार शिवाशीष को जांच का आदेश दिया। जांच के दौरान व्हाट्सएप कॉल, चैट संदेशों और बयान दर्ज कर साक्ष्य एकत्र किए गए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि पीड़िता और उसके परिजन रिश्वत की मांग से त्रस्त थे और कदमा थाने से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। यह भी सामने आया कि थाना प्रभारी ने पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रखी, जिससे मामले की संवेदनशीलता और बढ़ गई।
रविवार को सिटी एसपी कार्यालय में विस्तृत बयान दर्ज किए गए, जिसमें पीड़िता, उसके पिताजी, भाई और भाजपा नेता अंकित आनंद उपस्थित थे। बयान के साथ आवश्यक डिजिटल साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
भाजपा नेता अंकित आनंद की सक्रियता से मिला न्याय
भाजपा नेता अंकित आनंद ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह जीत सिर्फ पीड़िता की नहीं, बल्कि पुलिस विभाग पर भरोसे की है। मैंने जो कहा था, उसे निभाया — भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस। कदमा थाना प्रभारी ने सूचना दिये जाने के बावजूद रहस्यमयी चुप्पी साधे रखी, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उन्होंने आगे कहा, “झारखंड पुलिस में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए यह मामला एक महत्वपूर्ण मिसाल बन चुका है। मैं डीजीपी, एसएसपी और सिटी एसपी का आभार प्रकट करता हूं जिनकी तत्परता से यह न्याय संभव हो पाया।”
अंकित आनंद ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लिखा,
“जस्टिस डिलीवर्ड… सत्यमेव जयते। ना खायेंगे, ना खाने देंगे। यह कार्रवाई झारखंड पुलिस में विश्वास और नैतिक जवाबदेही का प्रतीक बनेगी।”
पुलिस महकमे में हलचल, पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
इस कार्रवाई के बाद जिला पुलिस महकमे में हलचल मच गई है। भ्रष्टाचार के आरोपों में तत्काल निलंबन का यह मामला पुलिस विभाग में जवाबदेही तय करने और आंतरिक अनुशासन स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
सिटी एसपी कुमार शिवाशीष की जांच में न केवल आरोप प्रमाणित हुए, बल्कि कार्रवाई के लिए स्पष्ट आधार भी प्रस्तुत किए गए। पुलिस मुख्यालय से संकेत मिल रहे हैं कि इस मामले की अनुशासनिक जांच के लिए अलग से विभागीय कार्रवाई भी आगे बढ़ाई जा सकती है।
इस कार्रवाई से पीड़िता को न्याय तो मिला ही है, साथ ही पुलिस महकमे में साफ संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को अमल में लाया जाएगा। यह देखना होगा कि निलंबन के बाद विभागीय जांच में एसआई सुनील दास पर क्या अंतिम निर्णय होता है। वहीं, भाजपा नेता अंकित आनंद की भूमिका ने एक बार फिर जनहित के मुद्दों पर राजनीतिक सक्रियता के महत्व को रेखांकित किया है।
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