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नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों को बच्चों की रुचि समझने के लिए किया जा रहा प्रशिक्षित
उदित वाणी जमशेदपुर : सरकारी स्कूलों में अब विद्यार्थियों को 10वीं-12वीं में उनके भावी कॅरियर के लिए तैयार किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के मुताबिक इसकी पहल की जा रही है। इसके लिए शिक्षकों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षकों पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे विद्यार्थियों की रुचि को पहचानें और उनकी रुचि के अनुरूप उनके कौशल को विकसित करें। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए शिक्षकों को तैयार करने हेतु उन्हें खास तौर पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
पूर्वी सिंहभूम में इसके लिए हाईस्कूल और प्लस टू शिक्षकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्नयन योजना के तहत इस प्रशिक्षण में रिसोर्स पर्सन शिक्षकों को बच्चों के मनोभाव को समझकर उसके अनुसार पढ़ाने का गुर सीखा रहे हैं। इस तरह का प्रशिक्षण पहली बार आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य कक्षा के दौरान बच्चों की रुचि को समझना और उसके अनुरूप उन्हें ढालना है। इस प्रशिक्षण के बाद ये शिक्षक छात्रों की रुचि के अनुरूप शिक्षा दिलाने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करेंगे। साथ ही, इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को भी देंगे।
विभाग से प्राप्त निर्देश के बाद छात्रों की रुचि के हिसाब से उन्हें विकसित करने का प्रयास किया जायेगा। छात्र अपनी रुचि के अनुरूप उच्च शिक्षा में अपना नामांकन करा सकेंगे। ऐसा होने पर अभिभावकों का दवाब भी कम होगा। स्किल डेवलपमेंट के पाठ्यक्रम को भी इससे जोड़ा जायेगा। विशेषज्ञ की भूमिका में पूर्व छात्रों को शामिल किया जायेगा। प्रशिक्षण का फीडबैक भी रिसोर्स पर्सन को अच्छा मिल रहा है। इस तरह की प्रशिक्षण की और अधिक आवश्यकता जताई जा रही है। प्रशिक्षण के दौरान नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षकों को ढालने की कोशिश की जा रही है।
31 तक स्कूलों में जमा करना है अपार के लिए शपथपत्र
जिला शिक्षा विभाग की ओर से शहर के सभी निजी स्कूलों को बच्चों का अपार कार्ड बनाने के लिए डेटा उपलब्ध कराने को पत्र लिखा गया है। सभी स्कूलों को इसके लिए 31 अक्तूबर अभिभावकों से सहमति पत्र लेना है। इसके लिए स्कूलों को प्रारूप सौंपा गया है और एक-एक बच्चे के अभिभावक से सहमति लेने का निर्देश दिया गया है। दरअसल, नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में आधार की तरह छात्रों का अब अपार कार्ड बनाया जाना है। वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी (परिचय पत्र) योजना के तहत यह ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक रजिस्ट्री (अपार) कार्ड बनाया जाना है। यह आईडी प्रत्येक विद्यार्थी के आधार संख्या पर आधारित होगा। यह कार्ड विद्यार्थियों के स्थानांतरण में तो काम आएगा ही, 18 साल पूरे होने पर उनके नाम से खुद मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए शामिल किया जा सकेगा। इसके लिए स्कूलों को अभिभावक-शिक्षक बैठक करने का निर्देश दिया गया है। इस योजना के तहत स्कूली छात्रों के पास जल्द अपना विशिष्ट पहचान संख्या होगी। हालांकि, इसके लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी।
बच्चों का होगा यूनिक आईडी
12 अंकों की आधार आईडी के अलावा प्रत्येक छात्र के पास वन नेशन वन स्टूडेंट परिचय पत्र होगा। यह छात्रों की शैक्षणिक यात्रा सहित उनकी उपलब्धियों के ट्रैक रिकॉर्ड का परिचय पत्र भी कहा जा सकता है। इस आईडी में छात्रों के हर एक हुनर दर्ज होंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक प्रत्येक छात्र के लिए वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी की योजना बनाई गई है। पूर्वी सिंहभूम के शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को इस संबंध में निर्देश दे दिया गया है। जो माता-पिता इस कार्ड हेतु आधार नंबर के उपयोग के लिए अपनी सहमति देते हैं, वे इसे किसी भी समय वापस ले सकते हैं। सहमति के बाद इसे केंद्रीय एकीकृत जिला और सूचना प्रणाली शिक्षा प्लस पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी स्कूलों को दी गई है।
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