उदित वाणी,जमशेदपुर :सृजन संवाद की 127 संगोष्ठी का आयोजन स्ट्रीमयार्ड तथा फ़ेसबुक लाइव पर किया गया, जिसमें ‘द क्वीन ऑफ़ इंडियन पॉप’ उषा उत्थुप आमंत्रित थीं. कार्यक्रम में उनकी जीवनी ‘उल्लास की नाव’ के लेखक विकास झा भी मौजूद थे.`
सृजन संवाद’ कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. विजय शर्मा ने सभी का स्वागत किया. डॉ. मंजुला मुरारी ने गायिका उषा उत्थुप का परिचय दिया. कांजीवरम साड़ी और बाल में टांके ताजे फ़ूल के साथ सृजन संवाद के मंच पर उपस्थित थीं. उषा उत्थुप से आज की शाम गुलजार रही. उन्होंने ‘इना मीना डिका’, ‘दोस्तों से प्यार किया’, ‘तुमसे है प्यार अउआ अउआ’, ‘हाल कैसा है जनाब का’, ‘नाकाबंदी’ आदि गीत सुनाए. उन्होंने वह गीत भी सुनाया जो उन्होंने केरला समाजम मॉडल स्कूल में सुनाया था, जब वे यहां आई थीं. गीतों को बार-बार गाने के समय वे खुद को हमेशा रिडिस्कवर-रिइन्वेंट करती रहती हैं.
उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभव दर्शकों-श्रोताओं से साझा किए. बताया जब वे 9 साल की थीं, तो उन्होंने रेडियो पर गाना गाया. अमीन सयानी के भाई हमीद सयानी कार्यक्रम अधिकारी थे और उन्होंने मुझे खूब बढ़ावा दिया. सहज-सरस व्यक्तित्व की धनी उषा दीदी ने पुरुष अभिनेताओं को भी स्वर दिया है, जो अपने आपमें बड़ी अनोखी बात है. उन्होंने बताया कि वे बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें श्रोताओं से सदा खूब सपोर्ट मिलता है, जो उन्हें तरोताजा रखता है. कार्यक्रम को न्यू डेल्ही फ़िल्म फ़ाउंडेशन के संस्थापक आशीष कुमार सिंह, डॉ. मंजुला मुरारी, करीम सिटी कॉलेज की मास की विभाग प्रमुख डॉ. नेहा तिवारी, ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ के संस्थापक वैभव मणि त्रिपाठी ने अपने प्रश्नों तथा टिप्पणियों से कार्यक्रम को सजीव बनाए रखा. उषा उत्थुप ने ‘कह दो अपनी मुश्किलों से मेरा खुदा…’ गा कर कार्यक्रम की समाप्ति की.
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