कर्मचारियों के समायोजन को लेकर शनिवार को हुई प्रबंधन और यूनियन की बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका
उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील के कोक प्लांट का बैटरी नंबर -7 सोमवार को बंद हो जाएगा. सेक्शन के बंद होने से यहां वर्षों से काम कर रहे 271 कर्मचारियों में से 175 कर्मचारी सरप्लस पूल में चले जाएंगे. वहीं 96 कर्मचारियों को प्रबंधन जरूरत के अनुसार विभिन्न सेक्शनों में समायोजित करेगा. 175 कर्मचारियों के सरप्लस पूल में जाने से उन्हें होने वाली परेशानी के साथ आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी व कमेटी मेंबर पिछले तीन दिनों से लगातार प्रबंधन के साथ मीटिंग कर रहे हैं. शनिवार को भी इस मुद्दे पर प्रबंधन व यूनियन नेताओं की बैठक हुई. लगभग ढाई घंटे तक चली मीटिंग के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला. हालांकि यूनियन की ओर से प्रबंधन को स्पष्ट रुप से कहा गया है कि सेक्शन बंद होने के बाद कर्मचारियों के संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले यूनियन की सहमति अवश्य ली जाए. यूनियन पदाधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद प्रबंधन ने सभी कमेटी मेंबरों को बुलाकर कार्यरत कार्यबल और जरूरत पर अलग से चर्चा की. मीटिंग में प्रबंधन की ओर से एचआर चीफ मुकेश अग्रवाल, हेड दिनेश अग्रवाल समेत पूरी टीम मौजूद थी.
प्रबंधन अपने स्टैंड पर कायम
वार्ता शुरु होने पर प्रबंधन ने अपने पूर्व के स्टैंड को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 27 को सेक्शन बंद होने पर 96 कर्मचारियों को विभिन्न सेक्शनों में समायोजित कर लिया जाएगा तथा शेष 175 कर्मचारियों को सरप्लस पूल में भेज दिया जाएगा. प्रबंधन के इस कड़े रुख को देख यूनियन ने भी अपने स्टैंड से अवगत कराया और स्पष्ट कर दिया कि जो 175 कर्मचारी बच रहे हैं उन्हें विभाग के ऑपरेशन में रिक्त पड़े करीब 50 तथा मेकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस के करीब 50 रिक्तियों को पहले भरा जाए. शेष कर्मचारियों को भी जरूरत के अनुसार समायोजित किया जाए. इस पर प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला. फिर यूनियन ने यह कहते हुए वार्ता समाप्त कर दी कि जब आप फैसला नहीं ले सकते हैं तो वैसे अधिकारियों को वार्ता में बुलाइए जो फैसला ले सकते हैं. इसी के साथ तीसरे दिन की भी मीटिंग समाप्त हो गई. यूनियन के विरोधी खेमा के पदाधिकारियों का कहना है कि कंपनी पहली बार कर्मचारियों के समायोजन के मुद्दे पर कड़ा रुख अख्तियार कर रही है. इसके लिए यूनियन और प्रबंधन के बीच 1 सितंबर, 2023 को हुए उस समझौते को जिम्मेवार बताया जा रहा है जिसमें कहा गया है कि जून 2026 तक कर्मचारियों की संख्या 11,100 से घटाकर 8,300 कर दी जाएगी.
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