नई दिल्ली: भारतीय उद्योग मंडल एसोचैम का मानना है कि देश के उद्यमों की पूर्ण क्षमताओं को उजागर करने के लिए एक सुसंगत और नवाचार-आधारित (innovation-led) इकोसिस्टम की आवश्यकता है, जो न केवल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे, बल्कि अनुपालन की जटिलताओं को भी कम करे। शुक्रवार को जारी ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इन द इंडियन स्टेट्स’ शीर्षक वाले नॉलेज पेपर में यह बातें कही गई हैं।
एमएसएमई के लिए केंद्र-राज्य समन्वय को बताया गया अनिवार्य
रिपोर्ट में खास तौर पर यह बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन्हें सक्षम बनाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मजबूत समन्वय और राज्य-स्तरीय नीति सुधारों की जरूरत है। एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के विज़न को साकार करने के लिए राज्यों में मजबूत क्रियान्वयन व्यवस्था जरूरी है। नीतिगत समीक्षा और जमीनी स्तर पर गहन परामर्श के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
चुनौतियों को चिन्हित कर सुझाए गए व्यावहारिक समाधान
पेपर में बिल्डिंग परमिट, श्रम एवं सुविधा अनुमोदन, फायर अप्रूवल जैसे मामलों में थर्ड पार्टी प्रफेशनल्स की भूमिका को अहम बताते हुए प्रक्रिया को सरल बनाने की बात कही गई है। इसके अलावा, ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ और आयात-निर्यात नियमों को युक्तिसंगत बनाने की भी सिफारिश की गई है।
राज्यों के नवाचार और सुधार बने मिसाल
रिपोर्ट में कुछ राज्यों के उल्लेखनीय सुधारों को मॉडल के रूप में पेश किया गया है:
गुजरात: वर्ष 2030 तक शत-प्रतिशत ट्रीटेड वेस्ट वॉटर के पुनः उपयोग का लक्ष्य।
महाराष्ट्र: फूड व ड्रग निर्माताओं के लिए पांच वर्ष का लाइसेंस, जिससे व्यापारियों को राहत।
पश्चिम बंगाल: बंदरगाहों के समीप बड़े ट्रकों को अनुमति, लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती।
झारखंड: स्टार्टअप्स को कोलेटरल-फ्री ऋण और सरकारी आपूर्ति में भागीदारी का अवसर।
52 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में ऐसे कई अन्य बेहतरीन अभ्यासों को शामिल किया गया है, जो राज्यों के लिए पारस्परिक सीख और सुधार का जरिया बन सकते हैं।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र भी किए गए चिन्हित
एसोचैम द्वारा तकनीकी सहायता और कन्वर्जेंस फाउंडेशन की विश्लेषणात्मक मार्गदर्शन से तैयार की गई यह रिपोर्ट उद्योग, शासन और नवाचार के संगम पर आधारित है। यह स्पष्ट करती है कि भारत में निवेश, व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए राज्यों को नीतिगत प्रयोगों और सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना होगा।
(IANS)
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