उदित वाणी, चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले में मतदान संपन्न हुए चार दिन बीत गए हैं. आगामी शनिवार को मतगणना होगी. वज्र गृह मैं प्रत्याशियों के बंद किस्मत का पिटारा 23 नवंबर को खुलेगा. ईवीएम खुलने के बाद ही पश्चिमी सिंहभूम जिले के पांच विधानसभा में चुनाव लड़ रहे 66 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. मतदाताओं द्वारा प्रत्याशियों के भाग्य को लेकर दिए गए फैसले ईवीएम में बंद हैं और जिला प्रशासन और जिला पुलिस की टीम सुरक्षा बलों और सीसीटीवी कैमरे के जरिए लगातार निगरानी कर रही है. चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी और उनके समर्थक हर दिन जोड़ घटाव और गुणा भाग में जुटे हुए हैं. कौन जीत रहा है, कौन हार रहा है.
कहां से, किसको, कितना वोट मिला है इसका गुणा भाग किया जा रहा है. राजनीति विज्ञान पढ़ने वाले आजकल अंक गणित की पढ़ाई कर रहे हैं. पश्चिमी सिंहभूम जिले के पांचो विधानसभा सीट पर एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच सीधा मुकाबला है.
चाईबासा विधानसभा सीट पर भाजपा की गीता बालमुचू और झामुमो के दीपक बिरूवा के बीच सीधा मुकाबला है. वहीं जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की गीता कोड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी सोनाराम सिंकू के बीच निर्दलीय प्रत्याशी मंगल सिंह बोबोंगा टांग अड़ाये हुए हैं.
मझगांव विधानसभा सीट पर झामुमो के निरल पुरती और भाजपा के बड़कुंवर गागराई के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी माधव ने खेल बिगाड़ने की पूरी कोशिश की है. किसका खेल बिगड़ता है, यह तो 23 नवंबर को ही पता चलेगा.
चक्रधरपुर विधानसभा सीट पर झामुमो के सुखराम उरांव और भाजपा के शशिभूषण सामड के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि यहां भी निर्दलीय प्रत्याशी विजय गागराई ने चुनावी समीकरण को बिगाड़ने की पूरी कोशिश की है. देखना होगा कि मतदाताओं ने उनके इस प्रयास को कितनी तरजीह दी है.
मनोहरपुर विधानसभा सीट पर झामुमो के जगत माझी और एनडीए की ओर से आजसू पार्टी के प्रत्याशी दीनेश चंद्र बोयपाई के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन जेकेएलएम के प्रत्याशी दिलवर खाखा ने आनंदपुर और गुदड़ी क्षेत्र में वोट का समीकरण बदलने का प्रयास किया है. इसका असर किस प्रत्याशी पर पड़ता है यह तो 23 नवंबर को सामने आएगा. जिले की पांचो विधानसभा सीट पर इंडिया ब्लॉक का कब्जा था. इसे बरकरार रखना उनके लिए बड़ी चुनौती है तो एक बार फिर से इस चक्रव्यूह को तोड़ना एनडीए के लिए भी बड़ा लक्ष्य है.
पश्चिमी सिंहभूम में भाजपा को अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए परिवर्तन की जरूरत है, लेकिन मतदाता क्या फैसला सुना चुके हैं, उसे सभी को स्वीकार करना होगा. मतदान होने के बाद से ही सर्वे करने वाली तमाम टाइम आकलन करने में जुटी हुई है, लेकिन मतदाता के मिजाज को सही-सही परख पाना शायद किसी के लिए संभव नहीं.
जब तक मतगणना नहीं हो जाती है तब तक शहर और गांव के चौक चौराहों पर जीत हार का आकलन संभवत: जारी रहेगा. मंत्री दीपक बिरूवा को लगातार चौथी बार जीत हासिल करना, मझगांव विधायक निरल पुरती को लगातार तीसरी बार जीत कर हैट्रिक लगाना, गीता कोड़ा को अपनी विरासत बचाना, सुखराम उरांव के लिए लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर इतिहास बदलना और मनोहरपुर से प्रत्याशी जगत माझी को अपनी मां सांसद जोबा माझी की विरासत को आगे बढ़ना बड़ी चुनौती है. इन प्रत्याशियों ने चुनौतियों का सामना किस हद तक किया है, उनकी इस परीक्षा का असली परिणाम तो 23 नवंबर को आएगा.
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