उदित वाणी, चाईबासा: विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोग धन की कटाई में जुट गए हैं. गांवों में अभी धान की कटाई जोर-शोर से हो रही है. आपसी सहयोग ही गांव की पहचान है. इससे आपसी संबंधों की डोर को और मजबूती प्रदान करता है.
धान कटाई के मामले में गांव कुंद्रुबेड़ा पीछे नहीं रहा. कुंद्रुबेड़ा ग्राम सभा द्वारा धान कटाई का कार्यक्रम किया गया, जिसमें सभी ग्रामीण वासियों ने बढ़ चढ़ के अपना योगदान दिया. करीब 150 की संख्या में ग्रामीणों ने सोमा पुरती के खेतों में धान कटाई की. ग्रामीणों को कहना है मिल जुलकर धान कटाई करने से मेल मिलाप बढ़ता है. गांव वाले एक दूसरे की सहायता करते हैं.
ग्रामीणों के द्वारा एक खेत में कटाई होने पर दूसरे खेत की कटाई करने में एक दूसरे को सहयोग करते है. मिलजुल कर धान काटने की परंपरा है. फसल बढ़िया होने पर लोगों की आर्थिक मदद होती है. घर परिवार में खुशहाली होती है. प्रत्येक गांव के ग्रामीणों से निवेदन किया कि आप लोग मिलजुल कर धान कटाई करें. प्रत्येक गांव में एक दूसरे को सहयोग करें.
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