उदित वाणी, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश के मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत नहीं दी. मुख्यमत्री के शेल कंपनियों में निवेश के मामले में दायर जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य माना है और मुख्यमंत्री एवं झारखंड सरकार द्वारा हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करके चुनौती दी गई है.
शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे के माहेश्वरी व जस्टिस हिमा कोहली की अवकाशकालीन खंडपीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार की एसएलपी पर शीघ्र सुनवाई करने की अपील को भी नामंजूर कर दिया और अदालत द्वारा मामले में किसी तरह की अंतरिम राहत भी नहीं दी गई. इसके साथ ही खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के नियमित बेंच को स्थानान्तरित कर दिया.
यद्यपि मामले में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका राजनीति से प्रेरित है और उक्त याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसलिए मामले में सुप्रीम कोर्ट को तत्काल सुनवाई करनी चाहिए. इस पर अदालत ने कहा कि सरकार अपनी बात झारखंड हाईकोर्ट में रखे.
अदालत ने यह भी कहा कि उनकी नजर में यह मामला अति आवश्यक नहीं है. अगर सरकार इस मामले को अत्यंत जरूरी समझती है, तो मामले पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद नियमित कोर्ट में अपनी बातों को रख सकते हैं. इसके साथ ही खंडपीठ ने मामले को नियमित कोर्ट में 11 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
23 को होगी झारखंड हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई
इधर हेमंत सोरेन व उनके करीबियों से जुड़े शेल कंपनियों तथा उनके खनन पटटा आवंटन मामले में झारखंड हाईकोर्ट में भी शुक्रवार को सुनवाई हुई. मुख्य न्यायधीश जस्टिस डा रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले में सुनवाई के बाद अगली तारीख 23 जून निर्धारित कर दी गई.
23 जून को मामले में वीडियो कांफेंसिंग के माध्यम वर्चुअल सुनवाई होगी. राज्य सरकार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल व महाधिवक्ता राजीव रंजन के कोरोना पाजिटिव होने की सूचना दिए जाने के बाद खंडपीठ द्वारा यह व्यवस्था दी गई है. वहीं सरकार व मुख्यमंत्री की ओर से मामले में सुनवाई रोकने के आग्रह किए जाने पर खंडपीठ ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही इस बारे में फैसला लिया जा सकता है.
इसके साथ ही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा जा सकता है, तो हाईकोर्ट में क्यों नहीं रखा जा सकता है. सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए किसी और अधिवक्ता को यहां रखना चाहिए.
24 को रांची हिंसा मामले में होगी अगली सुनवाई
राजधानी में 10 जून को हुई हिंसा के मामले में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखण्ड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि 10 जून को मेन रोड में दस हजार लोग एक साथ कैसे जमा हो गए.
इसके अलावा खंडपीठ द्वारा यह भी पूछा गया कि घटना में कितने लोग घायल हुए हैं और कितने लोगों की मौतें हुई है तथा घटना के दौरान कितनी गोलियां चली. खंडपीठ ने उक्त सभी मामलों पर राज्य सरकार से 24 जून तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है तथा मामले में अब 24 जून को ही अगली सुनवाई होगी.
ज्ञात हो कि मामले में एक्टिविस्ट पंकज यादव द्वारा जनहित याचिका दायर करके घटना की जांच एनआईए से कराने का आग्रह किया गया है और प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत से इस मामले में जल्द सुनवाई का आग्रह किया है. गौरतलब है कि 10 जून को रांची के मेन रोड स्थित एकरा मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने मेन रोड पर काफी उत्पात मचाया था.
प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई थी. घटना में डेली मार्केट थाना प्रभारी समेत कई उपद्रवी गंभीर रूप से घायल हुए थे. हिंसक प्रदर्शनकारियों द्वारा गोली चलाये जाने के बाद कण्ट्रोल करने के लिए पुलिस को भी गोली चलानी पड़ी थी. जिसमें दो लोगों की मृत्यु भी हो गयी थी.
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