नई दिल्ली: केंद्र सरकार अपस्ट्रीम ऑयल सेक्टर में गैस उत्सर्जन की निगरानी और नियंत्रण के लिए नियमों को कड़ा करने जा रही है. इसके लिए एक नई ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य खनिज तेल उत्पादन के दौरान होने वाली गैस फ्लेयरिंग और ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव को नियंत्रित करना है.
फ्लेयरिंग पर नजर और रिपोर्टिंग अनिवार्य
ड्राफ्ट नीति के तहत अब सभी पट्टेदारों और ठेकेदारों को हर कैलेंडर तिमाही के अंत से 15 दिन के भीतर, एक निर्धारित प्रारूप में प्रज्वलित गैस की मात्रा और उससे संबंधित उत्सर्जन की जानकारी देनी होगी. इससे निगरानी प्रक्रिया पारदर्शी और नियमित होगी.
180 दिनों में ‘निगरानी योजना’ जरूरी
हर पट्टेदार या ठेकेदार को उत्पादन शुरू होने की तिथि से 180 दिनों के भीतर एक विस्तृत निगरानी योजना प्रस्तुत करनी होगी. इस योजना में खनिज तेल संचालन के दौरान होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के स्रोतों की पहचान और मापने की प्रक्रिया शामिल होगी.
पर्यावरणीय और आपदा प्रबंधन की रूपरेखा अनिवार्य
नए नियमों के अनुसार प्रत्येक परियोजना के लिए एक पर्यावरण प्रबंधन योजना और आपदा योजना भी तैयार करनी होगी. इसमें वायुमंडलीय प्रदूषण, भूजल दूषण और अन्य पर्यावरणीय खतरों को रोकने के उपायों की स्पष्ट रूपरेखा दी जाएगी.
जनहित में राय मांगी गई
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने संबंधित पक्षकारों, विशेषज्ञों और संस्थानों से इस ड्राफ्ट पर राय, सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित की हैं. यह प्रक्रिया पारदर्शिता और सहभागिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है.
(IANS)
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