रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा जून 2024 में आयोजित की गई सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम अब तक जारी नहीं किया गया है. यह देरी दस महीने से अधिक समय की हो चुकी है, जिससे परीक्षार्थियों के धैर्य की सीमाएं टूटने लगी हैं. गुरुवार को राजधानी रांची में ओल्ड जेल चौक स्थित जेपीएससी कार्यालय के समक्ष बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी.
‘रिजल्ट दो या फांसी दो’: प्रदर्शनकारियों का तीखा सवाल
अनशन पर बैठे युवाओं ने हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर आयोग के खिलाफ नारे लगाए. एक पोस्टर पर लिखा था – “रिजल्ट दो या फांसी दो”. यह नारा अब आंदोलन का प्रतीक बन गया है. अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग यदि परिणाम जारी नहीं कर सकता, तो उन्हें असफल मानकर फांसी की सजा दे दे. उनका मानना है कि जेपीएससी की निष्क्रियता उनके भविष्य को बर्बाद कर रही है.
342 पदों पर होनी है नियुक्ति, लटकी 14वीं परीक्षा की तैयारी
जेपीएससी ने 11वीं से 13वीं सिविल सेवा परीक्षा का संयुक्त विज्ञापन जनवरी 2024 में जारी किया था. मार्च में प्रारंभिक परीक्षा आयोजित हुई, जिसमें साढ़े तीन लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे. 22 अप्रैल को घोषित प्रारंभिक परिणाम के आधार पर 7,011 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए चुना गया. यह परीक्षा 22 से 24 जून 2024 के बीच आयोजित की गई थी. इसके जरिए कुल 342 पदों पर नियुक्ति होनी है. लेकिन आयोग का कैलेंडर अगस्त 2024 में ही परिणाम घोषित करने की बात कहता था.
अध्यक्ष की नियुक्ति से जागी उम्मीदें, फिर भी मौन क्यों?
जेपीएससी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मेरी नीलिमा केरकेट्टा अगस्त 2024 में सेवानिवृत्त हो गईं. इसके बाद छह माह तक आयोग का नेतृत्व शून्य रहा. 27 फरवरी 2025 को सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एल. खियांग्ते को अध्यक्ष नियुक्त किया. इससे परीक्षार्थियों में परिणाम को लेकर आशा जगी, लेकिन दो माह बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है.अभ्यर्थियों का आरोप है कि किसी ‘अज्ञात कारण’ से आयोग रिजल्ट रोक कर बैठा है, जिससे अगली यानी 14वीं सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पा रही.
परिणाम के लिए समयसीमा बताने की मांग
बुधवार को परीक्षार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जेपीएससी अध्यक्ष से भेंट की थी. अध्यक्ष ने परिणाम जल्द जारी करने का आश्वासन तो दिया, लेकिन कोई ठोस समय-सीमा नहीं बताई.इससे आहत होकर गुरुवार से अभ्यर्थियों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का निर्णय लिया.अब देखना यह है कि युवाओं की यह शांतिपूर्ण लड़ाई शासन-प्रशासन को कितनी संवेदनशीलता के साथ सोचने पर मजबूर करती है.
(IANS)
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