नई दिल्ली: अच्छे खानपान की चर्चा जब भी होती है, तो बात केवल शरीर तक ही सीमित नहीं रहती. वैज्ञानिक शोध अब यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जो हम खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. कुछ आदतें और खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जो धीरे-धीरे हमारी याददाश्त और सोचने की क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं. न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने चेताया है कि ऐसी आदतों से समय रहते तौबा न की जाए, तो डिमेंशिया जैसे गंभीर मानसिक रोगों का खतरा कई गुना बढ़ सकता है.
मस्तिष्क के लिए भी जरूरी है संतुलित खानपान
अच्छा पोषण केवल शरीर को नहीं, बल्कि दिमाग को भी सशक्त बनाता है. कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह प्रमाणित हुआ है कि खराब खानपान से कॉग्नेटिव फंक्शन्स यानी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होती है. इसके परिणामस्वरूप डिमेंशिया जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
विशेषज्ञों ने तीन प्रमुख कारकों को मस्तिष्क के लिए सबसे हानिकारक बताया है – अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, अत्यधिक ताप पर भोजन पकाना और कृत्रिम स्वीटनर का सेवन.
1. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड: सुविधाजनक लेकिन धीमा ज़हर
यूपीएफ यानी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में नमक, चीनी, कृत्रिम रसायन और अस्वस्थ वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है. यह खाद्य पदार्थ शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क में भी सूजन बढ़ाते हैं.2022 में Neurology जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन अपने आहार का 10% हिस्सा यूपीएफ से लेता है, तो डिमेंशिया का खतरा 25% तक बढ़ सकता है.इसके अतिरिक्त, इन फूड्स से हृदय रोग, कैंसर, मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़, फैटी लीवर और समय से पहले मृत्यु का खतरा भी जुड़ा हुआ है.
2. अत्यधिक ताप पर पकाया गया खाना: धीमा ज़हर बन सकते हैं एजीई
जब भोजन को बहुत अधिक ताप पर ग्रिल, फ्राई या ब्रॉयल किया जाता है, तो उसमें Advanced Glycation End-products (AGEs) नामक यौगिक उत्पन्न होते हैं. ये यौगिक मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन बढ़ाते हैं.इनका सीधा संबंध एमिलॉयड प्लेक्स से है, जो अल्जाइमर रोग से जुड़े प्रोटीन जमाव का कारण बनते हैं. विशेषज्ञों की राय है कि भोजन को जितना संभव हो, स्टीम या हल्के ताप पर पकाएं.
3. कृत्रिम स्वीटनर: ‘मीठा’ धोखा
कम कैलोरी वाले स्वीटनर जैसे ‘एस्पार्टेम’ का उपयोग चीनी के विकल्प के रूप में तेजी से बढ़ा है. लेकिन हालिया शोधों से सामने आया है कि ये स्वीटनर आंतों के बैक्टीरिया को इस प्रकार प्रभावित करते हैं, जिससे सूजन और न्यूरोलॉजिकल असंतुलन हो सकता है.कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि एस्पार्टेम से याददाश्त कमजोर होती है और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है. वहीं दीर्घकालिक उपयोग से स्ट्रोक, हृदय रोग और समयपूर्व मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है.
अंत में एक सवाल: क्या आपके आहार में है कोई मस्तिष्क का दुश्मन?
अगर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को लंबे समय तक बनाए रखना चाहते हैं, तो समय रहते इन तीन चीजों से दूरी बना लें. आपकी एक समझदारी, भविष्य की कई समस्याओं से बचा सकती है.
(IANS)
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