रांची: धनबाद में एक युवती के धर्म परिवर्तन और शादी से जुड़ा मामला सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. भाजपा नेताओं ने इसे लव-जिहाद का मामला बताते हुए राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं.
बाबूलाल मरांडी ने उठाए सवाल, की जांच की मांग
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि 45 वर्षीय आरिफ़, जो तीन बच्चों का पिता है, ने कथित रूप से एक युवती को बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा लिया. इस मामले में युवती का शपथ-पत्र भी सामने आया है, जिसमें उसकी उम्र 19 वर्ष दर्ज है. मरांडी ने कहा कि यह वही पैटर्न है जो सरायकेला मामले में देखा गया था. उन्होंने इसे एक सुनियोजित साजिश बताते हुए धनबाद पुलिस से कठोर कार्रवाई की मांग की है.
चंपाई सोरेन ने भी जताई चिंता, उठाए कई कानूनी और सामाजिक प्रश्न
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने भी इस मामले में सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि एफिडेविट के माध्यम से धर्म परिवर्तन और विवाह कराना, झारखंड में वैध नहीं है. उन्होंने पूछा कि जब झारखंड धर्म स्वतंत्र अधिनियम, 2017 के तहत धर्म परिवर्तन से पूर्व उपायुक्त की अनुमति अनिवार्य है, तो इस नियम की अवहेलना पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
नीमडीह जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति, फर्जी दस्तावेजों की भूमिका पर सवाल
चंपाई ने नीमडीह की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि जब लड़का और लड़की एक ही गांव के हैं, तो आसनसोल और वीरभूम (बंगाल) के सर्टिफिकेट क्यों बनवाए गए? उन्होंने पूछा कि झारखंड के कानून को दरकिनार कर इस तरह के फर्जी दस्तावेज बनवाकर आखिर क्या साबित करना चाहा जा रहा है और किसके संरक्षण में यह सब हो रहा है?
बांग्लादेशी घुसपैठ, वोट-बैंक और बेटियों की सुरक्षा पर चिंता
चंपाई ने बोकारो की उस घटना का भी उल्लेख किया, जहां बीएसएल प्रबंधन ने कुछ बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा और उनके घर गिरा दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार समाज और बेटियों की सुरक्षा की बजाय वोट-बैंक को प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने समाज से आग्रह किया कि ऐसे मामलों पर मौन न रहकर जागरूक होकर सख्त कदम उठाएं.
राजनीति और प्रशासन के बीच उलझा एक संवेदनशील मुद्दा
धनबाद की घटना ने न केवल राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, बल्कि प्रशासन की भूमिका और संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर राज्य सरकार की नीतियों को भी कठघरे में ला खड़ा किया है. यह देखना अहम होगा कि क्या इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होती है या यह भी अन्य विवादों की तरह राजनीतिक धूल में दब जाता है.
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