उदित वाणी, जमशेदपुर : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले के केंद्र में स्थित चाईबासा में राज्य का पहला नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर (एनआईसी) जुलाई 2024 में स्थापित किया गया, जो देश के गिने-चुने ऐसे केंद्रों में से एक है. झारखंड सरकार के वन विभाग, टाटा स्टील लिमिटेड – ओएमक्यू डिवीजन और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एक्सीलेंस (सीईई) के साझा प्रयासों के परिणामस्वरूप यह परियोजना पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है. इसने न केवल राज्य की समृद्ध वनस्पति और जीव-जंतु विरासत के संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन की आवश्यकता पर भी जोर दिया.लगभग 5000 वर्ग फुट में फैला नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर (एनआईसी), जिसकी आधारशिला 2022 में रखी गई थी, केवल एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा का एक जीवंत केंद्र है. यह केंद्र पर्यावरण जागरूकता, जैव विविधता की निरंतरता, वन्यजीव संरक्षण, और झारखंड की समृद्ध संस्कृति व विरासत जैसे विविध विषयों पर आधारित है.
सात खंडों में विभाजित
सात विशिष्ट खंडों में विभाजित, यहां सूचनात्मक प्रदर्शन पैनलों के माध्यम से दर्शकों को जागरूक और संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया है. प्रत्येक खंड एक विशिष्ट विषय को समर्पित है, जो शिक्षाप्रद और प्रेरणादायीअनुभव प्रदान करता है. यह केंद्र न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदार दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक ठोस पहल के रूप में कार्य करता है.
भाग 1: भारत के जैव-भौगोलिक क्षेत्र
भारत को विभिन्न जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है और हर क्षेत्र की पारिस्थितिकीय विशेषताओं को प्रस्तुत करता है.
भाग 2: झारखंड की जैव विविधता
राज्य की समृद्ध जैव विविधता, वनस्पति, जीव-जंतु और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता को दर्शाता है.
भाग 3: हाथियों का विज्ञान
हाथियों के जीवन, व्यवहार, पारिस्थितिकीय भूमिका और संरक्षण प्रयासों की वैज्ञानिक समझ प्रदान करता है.
भाग 4: झारखंड की विरासत
राज्य की ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों का परिचय कराता है.
भाग 5: झारखंड की संस्कृति
यहां की जनजातीय परंपराएं, लोक कला, संगीत और सांस्कृतिक विविधता को उजागर करता है.
भाग 6: पर्यावरणीय चुनौतियां और समाधान
जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई जैसी समस्याओं और उनके समाधान पर केंद्रित है.
भाग 7: संरक्षण – ‘अभी करें’
तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देता है और संरक्षण के लिए सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना जागृत करता है. इसमें इमर्सिव अनुभवात्मक प्रस्तुति शामिल है, जो 3डी विजुअल्स और वन्य जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के जीवन-आकार के मॉडलों के माध्यम से दर्शकों को प्रकृति के और करीब लाती है. प्रत्येक सेक्शन की थीम के अनुरूप जानकारी प्रदान करने वाले टच-बेस्ड इंटरैक्टिव बोर्ड्स दर्शकों को एक समृद्ध और संवादात्मक अनुभव प्रदान करते हैं. केंद्र का एक और प्रमुख आकर्षण है वाइल्डलाइफ डाइओरामा, जिसमें जीवों के यथार्थपरक मॉडल इतने जीवंत प्रतीत होते हैं कि दर्शक विस्मित हो उठते हैं. यह केंद्र न केवल देखने योग्य है, बल्कि सीखने और महसूस करने का भी अनूठा माध्यम है.
थ्री डी विजुअल्स के जरिए देख सकते हैं नजारा
एनआईसी की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक है इसका इमर्सिव अनुभव, जो आगंतुकों को केवल जानकारी ही नहीं देता, बल्कि उन्हें प्रकृति के जीवंत संसार में प्रवेश कराता है. थ्री-डी विजुअल्स और वन्यजीवों एवं पौधों के जीवन-आकार के मॉडलों के माध्यम से दर्शकों को ऐसा अनुभव होता है मानो वे स्वयं जंगल के बीच खड़े हों. प्रत्येक सेक्शन में स्थापित स्पर्श-आधारित इंटरैक्टिव बोर्ड्स विषय-वस्तु से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे सीखने की प्रक्रिया रोचक और सहभागिता आधारित बनती है. केंद्र का विशेष आकर्षण है वाइल्डलाइफ डाइओरामा — एक ऐसा जीवंत विजुअल प्रस्तुति जो अपनी अद्भुत यथार्थता के कारण दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है.एनआईसी का ऑडिटोरियम, जिसमें अत्याधुनिक वीडियो वॉल स्थापित है, बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित करता है. इस वीडियो वॉल में 9 सब-सेक्शन हैं, जिनमें से प्रत्येक में 50 इंच के पैनल लगे हैं, जिन पर पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकीय संवर्धन, वन्यजीव संरक्षण आदि पर आधारित फिल्में दिखाई जाती हैं.
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