उदित वाणी, जमशेदपुर : हमारे देश में कृषि न केवल ग्रामीण जीवन की रीढ़ है, बल्कि विशेष रूप से नोआमुंडी की आयरन ओर माइन के आसपास बसे गांवों के लोगों के लिए आजीविका और आय का प्रमुख स्रोत भी है. यहां के अधिकतर किसान, लगभग 90 प्रतिशत – छोटे और सीमांत वर्ग से आते हैं, जिनके पास औसतन केवल 5 एकड़ भूमि होती है. खेती से जुड़ी कमजोर बुनियादी अवसंरचना पारंपरिक और कम उत्पादक खेती के तरीके, गुणवत्तापूर्ण तकनीकी मार्गदर्शन की कमी और वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुंच – ये सभीचुनौतियां उनकी खेती को लाभकारी बनाने में बड़ी बाधाएं हैं.
इन परिस्थितियों ने धीरे-धीरे उनकी कृषि आय को प्रभावित किया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका की तलाश में पलायन करना पड़ा है. टाटा स्टील फाउंडेशन का उद्देश्य किसानों की आय को अधिक सुरक्षित, स्थायी और विविध बनाना है, ताकि ग्रामीण और वंचित परिवारों को उद्योग-आधारित आजीविका के अलावा मजबूत जीवनयापन के विकल्प मिल सकें। बदलते जलवायु परिदृश्य को देखते हुए, कृषि उत्पादन में संभावित उतार-चढ़ाव को समझना और उसके अनुरूप तैयारी करना आज की जरूरत है. इस सोच के साथ संस्था के प्रयास केवल आय बढ़ाने तक सीमित नहीं हैं. यह जल संरक्षण, पोषण सुधार और क्षेत्र में नई और लाभकारी फसलों की संभावनाओं को उभारने जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं.
सालाना आय दो लाख तक करने का लक्ष्य
वर्तमान लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक 1,00,000 वंचित और हाशिए पर बसे परिवारों की वास्तविक वार्षिक कुल आय को दो लाख तक पहुंचाया जाए और वह भी इस तरह कि उसमें निरंतर और स्थायी वृद्धि सुनिश्चित हो. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए टाटा स्टील फाउंडेशन ने स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों, मौजूदा कृषि पद्धतियों और समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक और उन्नत कृषि हस्तक्षेप कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है. वर्तमान में सोम खरीफ़ फसल के मौसम में जैविक विधियों से धान, दालें और सब्जियां उगाते हैं. रबी फसल के मौसम में वह सफेद और पीले फूलगोभी, ब्रोकोली और बंदगोभी उगाते हैं, जबकि गर्मी में लौकी, बैंगन और मोठ जैसी फसलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
आईएफएस मॉडल के तहत अब सोम के पास सतत और विविध आय के कई स्रोत हैं. उन्होंने अपने तालाब का पुनर्निर्माण किया और अब मछली पालन और बतख पालन की ओर भी कदम बढ़ाया है, जो उनके कृषि प्रयासों को और आत्मनिर्भर बनाते हैं. सोम ने कृषि वानिकी (एग्रो फॉरेस्ट्री) में भी रुचि दिखाते हुए अपने तालाब के बांध के चारों ओर विभिन्न फलदार वृक्ष लगाए, जैसे कि नींबू, सेव, शरीफा और अमरूद, जो न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं, बल्कि उनकी आय को भी विविधता प्रदान करते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने मुर्गियाँ पालीं, जिनसे उन्हें अंडे और मांस के अलावा जैविक उर्वरक के रूप में गोबर भी प्राप्त हुआ.
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