उदित वाणी, रांची : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर बनाये रखना असंवैधानिक है और अनुराग गुप्ता द्वारा लिये जा रहे फैसले विधि विरूध्द है. प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता करतंे हुए उन्होंने कहा कि दो दिनों से झारखंड संवैधानिक रूप से डीजीपी विहीन है. इतना ही नहीं झारखंड में एसीबी, सीआईडी और पुलिस के सभी डीजी का पद भी रिक्त है. इसके साथ ही मरांडी ने अविलंब राज्य में नये डीजीपी की नियुक्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के मुख्यसचिव को पत्र लिखकर स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि अनुराग गुप्ता को दो साल के लिए डीजीपी नियुक्त किया जाना नियम विरूध्द है. इस संबध में केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ऑल इंडिया सर्विस रूल्स-1958 व अदालतो के निर्णयों का भी हवाला दिया गया गया है.
डीजीपी अनुराग गुप्ता पर लगाये कई आरोप
वहीं नेता प्रतिपक्ष ने अनुराग गुप्ता के खिलाफ कई तरह के आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता के ऊपर आरोपों की लिस्ट काफ़ी लंबी है. उनके खिलाफ अविभाजित बिहार सरकार के दौरान मगध विश्वविद्यालय पुलिस थाना में भ्रष्टाचार का एक केस दर्ज हुआ था और उनके [मरांडी] झारखंड के मुख्यमंत्रित्त्व काल के अंतिम दिनों में बिहार सरकार से अनुराग गुप्ता के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन को लेकर एक पत्र भी आया था. लेकिन बाद में क्या हुआ इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.
मुख्यमंत्री के साथ संबंधों पर उठाये सवाल
नेता प्रतिपक्ष मरांडी ने अनुराग गुप्ता की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ संबंधों पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन ने खुद अनुराग गुप्ता को 24 फरवरी 2020 से 9 मई 2022 तक यानी 26 महीने तक निलंबित रखा. लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता के बीच नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि ख़त्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस उनकी नियुक्ति कर दी. मरांडी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सोरेन ने झारखंड में ईडी के मुकदमों को मैनेज करने और भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले गवाहों पर झूठे केस चलाकर दबाव बनाने के लिए गुप्ता की नियुक्ति की. गुप्ता ने ईडी के अफ़सरों को डराने और काम से रोकने के लिये तीन-तीन मुकदमे पुलिस में दर्ज कराया.
अभी हाल ही में ईडी के तीन गवाहों को पुलिस केस कर जेल भेजा गया. राज्य सेवा के कुछ अफसर जिनके बयान एवं कार्रवाई पर ईडी ने कारवाई कर बड़ी मछलियों को पकड़ा वैसे अफ़सरों पर एसीबी और पुलिस के ज़रिये कार्रवाई कर उन पर ईडी के खिलाफ बोलने का दबाव बनाया जा रहा है. वहीं नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनवरी 2025 से अबतक पूजा सिंघल, छवि रंजन, आलमगीर आलम समेत दस से भी ज़्यादा सरकारी लोगों पर प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन के लिये ईडी ने झारखंड सरकार को अनुरोध भेजा है. लेकिन एक भी मामले में झारखंड सरकार ने अबतक सेंक्शन नहीं दिया है.
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