उदित वाणी, जमशेदपुर: सीएसआईआर-नेशनल मेटालर्जिकल लेबोरेटरी (CSIR-NML), जमशेदपुर में मंगलवार को एक दिवसीय इंडस्ट्री कॉन्क्लेव ‘इंडीमैट-2025’ का आयोजन हुआ. यह आयोजन संस्थान की प्लैटिनम जुबली समारोह की श्रृंखला का हिस्सा था. कॉन्क्लेव का विषय था — ‘स्वदेशी सामग्रियों का स्थानीयकरण: सामरिक क्षेत्र में चुनौतियां और अवसर’. इस मंच ने उद्योग, अनुसंधान संस्थानों और संभावित उपयोगकर्ताओं के बीच संवाद और सहयोग के नए रास्ते खोलने का अवसर प्रदान किया, विशेषकर उन सामग्रियों के स्वदेशीकरण पर जिनका उपयोग रणनीतिक क्षेत्रों जैसे रक्षा और अंतरिक्ष में किया जाता है.
उद्घाटन समारोह में विशेषज्ञों ने रखे विचार
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. डॉ. संदीप घोष चौधुरी, निदेशक, सीएसआईआर-एनएमएल ने स्वागत भाषण में कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम वर्तमान तकनीकी और वाणिज्यिक परिदृश्य में अत्यंत आवश्यक हैं. उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे सीएसआईआर-एनएमएल ने भारतीय धातुकर्म क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दिया है.
रक्षा क्षेत्र की सोच को आगे बढ़ाने की आवश्यकता : जसबीर सिंह
मुख्य अतिथि जसबीर सिंह सोलंकी, सीईओ – महिंद्रा डिफेंस (पुणे) ने उद्घाटन भाषण में कहा कि अब समय है कि भारतीय निर्माण क्षेत्र दुनिया का अनुकरणकर्ता नहीं, बल्कि अगुवा बने. उन्होंने महिंद्रा डिफेंस द्वारा साइबर सुरक्षा प्रणाली और जलमग्न निगरानी यंत्र के क्षेत्र में किए गए कार्यों को साझा किया. साथ ही, उन्होंने उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग की अनिवार्यता पर बल दिया.
कॉन्क्लेव में हुआ दो सत्रों में विचार-विमर्श
इस कॉन्क्लेव में दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए. पहले सत्र में पांच और दूसरे में छह विशेषज्ञों ने प्रस्तुति दी. देश भर से लगभग 40 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनका संबंध रक्षा और अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रहा.
सत्र-1: स्टील से एल्यूमिनियम की ओर रुझान
पहले सत्र में एलएंडटी, वेदांता, एचएएल, आयुध निर्माणी और नेवल मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी से वक्ताओं ने संबोधित किया.
आनंद दुबे, उप-सीईओ, वेदांता एल्यूमिनियम अलॉयज ने कहा कि अब कई क्षेत्रों में स्टील की जगह एल्यूमिनियम का प्रयोग बढ़ रहा है, विशेषकर जहां भार कम और दक्षता अधिक अपेक्षित है. उन्होंने वेदांता द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का उल्लेख किया जो रक्षा क्षेत्र के लिए विशिष्ट एल्यूमिनियम ग्रेड विकसित कर रही हैं.
सत्र-2: रक्षा और अंतरिक्ष में अनुसंधान की नई दिशाएं
दूसरे सत्र में डीएमएसआरडीई (कानपुर), एमजीआईटी (हैदराबाद), पूर्वी नौसेना कमान, भारतीय वायुसेना, स्काईरूट एयरोस्पेस और इसरो (बेंगलुरु) के विशेषज्ञों ने तकनीकी प्रस्तुतियां दीं.
इन वक्ताओं ने रणनीतिक क्षेत्रों में अवशिष्ट जीवन मूल्यांकन, संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी, नॉन-डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग और सामग्रियों के विकास पर प्रकाश डाला.
समापन में रखी गई आत्मनिर्भरता की रूपरेखा
कॉन्क्लेव का समापन विशेषज्ञ पैनल चर्चा के साथ हुआ. चर्चा का विषय था — ‘आत्मनिर्भर भारतीय रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र की दिशा में मार्गदर्शन : अनुसंधान और उद्योग का परस्पर सहयोग’. इसमें तीनों स्तंभ — उद्योग, अनुसंधान संस्थान और उपयोगकर्ता संस्थान — को परस्पर जुड़कर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया गया.
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