- एप्रोप्रिएट मशीनरी कमिटी बनाकर ख़ाली भूमि को सबलीज पर देने का अधिकार टाटा स्टील को देना विधिसम्मत नहीं
उदित वाणी, रांची : टाटा लीज नवीकरण का 30 साल का समझौता 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो जायेगा. जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने मामले में सोमवार को झारखंड सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के सचिव चंद्रशेखर के साथ विभाग के कार्यालय में मुलाकात की और नई लीज समझौता होने के पूर्व जनसुविधाओं के मामले में ठोस निर्णय लेने की मांग की. वहीं सरयू राय के मुताबिक राजस्व सचिव ने उन्हें बताया कि मामले को लेकर एक समिति गठित की जा चुकी है. समिति द्वारा मामले में सरकार को वस्तुस्थिति से अवगत करायी जायेगी. इसके बाद सरकार द्वारा टाटा लीज नवीकरण पर निर्णय लिया जायेगा.
ज्ञात हो कि पिछली बार राज्य की अर्जुन मुंडा सरकार द्वारा अगस्त 2005 में 31 दिसंबर 1995 के भूतलक्षी प्रभाव से टाटा लीज का नवीकरण किया गया था. जो भूतल़क्षी प्रभाव से 1 जनवरी 1996 से लागू माना गया है. जबकि सरयू राय ने राजस्व सचिव को टाटा लीज समझौता में व्याप्त कई त्रुटियों के बारे में अवगत कराया है. उन्होंने विभागीय सचिव को बताया कि पूर्व के लीज समझौता में जनसुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर किसी तरह का प्रावधान नहीं किया गया है. जनसुविधाओं में कमी होने या दिक्कत होने पर कहां शिकायत की जायेगी, इसके बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया है. इसके अतिरिक्त समझौता की कंडिका असंवैधानिक है और भूमि सुधार अधिनियम के प्रावधान के विरोध में है.
अधिनियम में बिहार विधानसभा में संशोधन कर ख़ाली भूमि और सबलीज के बारे में स्पष्ट प्रावधान किया गया है. अधिनियम की धारा 7 में संशोधन कर 7डी और 7ई जोड़ा गया है. ऐसे में टाटा लीज समझौता के तहत एप्रोप्रिएट मशीनरी कमिटी बनाकर ख़ाली भूमि को सबलीज पर देने का अधिकार टाटा स्टील लिमिटेड को देना विधिसम्मत नहीं है. उन्होंने राजस्व सचिव को बताया कि लीज समझौता के प्रावधानों के तहत अनेकों जनसुविधाएं टाटा स्टील को अपने खर्चे पर मुहैया कराया जाना है. लेकिन कंपनी की ओर से इस प्रावधान का घोर उल्लंघन किया जा रहा है. पानी, बिजली जैसी जनसुविधाएं मुहैया कराने में भारी भरकम बिल देने और जमशेदपुर में साफ-सफाई व्यवस्था केवल टाटा लीज़ क्षेत्र तक ही सीमित रखने के बारे मे उन्होंने सचिव को बताया है. उन्होंने ताज़ा उदाहरण देते हुए बताया कि साकची के डीएम लाईब्रेरी में बिजली का कनेक्शन देने के लिए कंपनी ने 40 लाख रूपये का बिल दिया है. बस्तियों में पेयजल का कनेक्शन देने के लिए बस्तीवासियों को 21 हज़ार का बिल दिया जा रहा है.
वहीं टाटा स्टील ने समझौते में शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, पशु चिकित्सा समेत अनेकों जनसुविधाएं देने का भरोसा दिया था. लेकिन उक्त सुविधायें भी नदारद है. इसके साथ ही विधायक राय ने सचिव से मांग की है कि अबकी बार नई लीज समझौता हो, तो जनसुविधाओं को लेकर स्पष्ट प्रावधान किया जाना चाहिए और जनशिकायतों को निष्पादित करने के लिए एक कोषांग भी गठित किये जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सचिव को सुझाव दिया कि टाटा लीज समझौता के उल्लंघनों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करें.
यह समिति 1985 से 2005 और 2005 से अब तक के समझौता उलंघन के विभिन्न पहलुओं पर सांगोपांग विचार करे. प्रासंगिक संचिकाओं में अंकित टिप्पणियों एवं पत्राचारों की राज्यहित में समीक्षा करे. यह समिति लीज समझौता के बारे में लाभुकों, उपभोक्ताओं का सुझाव भी आमंत्रित करे. पूर्वी सिंहभूम जिला में उपायुक्त पद पर नियुक्त किए गए झारखंड सरकार के सेवारत अधिकारियों का सुझाव भी इस संदर्भ में लिया जाना चाहिए. यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि टाटा लीज समझौता बिहार भूमि सुधार अधिनियम की धारा 7ई और 7डी एवं अन्य सुसंगत धाराओं के तहत विधिसम्मत प्रावधानों का अनुपालन किया जाना चाहिए.
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