उदित वाणी, जमशेदपुर: सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार) और प्रतिष्ठित संस्था पथ – पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में चल रही 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला अपने नवें दिन ऊर्जा, रचनात्मकता और सीखने की भावना से भरपूर नजर आई. कार्यशाला में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक सुमन पूर्ति ने विशेष प्रशिक्षण सत्र की अगुआई की, जिसमें शारीरिक भाव-भंगिमा के माध्यम से अभिनय के गहरे पहलुओं को समझाया गया.
शारीरिक भाव-भंगिमा से चरित्र निर्माण की कला
सुमन पूर्ति ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चों को बताया कि शारीरिक भाव-भंगिमा से चरित्र में प्रवेश करने की कला एक अभिनव तकनीक है, जिसमें अभिनेता अपने शरीर की भाषा और मुद्राओं का इस्तेमाल कर अपने किरदार को जीवंत बनाता है. उन्होंने कहा कि यह तकनीक अभिनय के दौरान अभिनेता को अपने चरित्र की भावनाओं, विचारों और व्यक्तित्व को प्रभावी तरीके से दर्शाने में मदद करती है.
रंगमंचीय अभिव्यक्तियों की बारीकियां
सुमन पूर्ति ने प्रतिभागियों को रंगमंचीय अभिव्यक्तियों की बारीकियों से अवगत कराया. उन्होंने बॉडी मूवमेंट की विभिन्न तकनीकों के माध्यम से यह बताया कि कलाकार अपने शरीर को किस प्रकार पहचान सकते हैं, शरीर के विभिन्न स्टेट्स को कैसे समझ सकते हैं, और किरदारों में परिवर्तन के दौरान किन मानसिक और शारीरिक पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए.
व्यावहारिक सत्र और मंचीय संतुलन
कार्यशाला में सुमन पूर्ति ने व्यावहारिक सत्र का आयोजन किया, जिसमें कलाकारों ने विभिन्न भाव-भंगिमाओं और मुद्राओं का अभ्यास किया. उन्होंने मंच पर अभिनय के दौरान शरीर के संतुलन, अंग संचालन और आंतरिक भावनाओं की प्रस्तुति को प्रभावशाली बनाने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया.
कार्यशाला के उद्देश्य और सफलता की दिशा
कार्यशाला के अब तक के अनुभव दर्शाते हैं कि इसका मुख्य उद्देश्य रंगमंच की नवोदित प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करना और उनके भीतर छिपे अभिनय कौशल को निखारना सार्थक दिशा में अग्रसर है. नौवें दिन की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रतिभागियों में जोश, सृजनात्मकता और सीखने की ललक कार्यशाला को अत्यंत सफल बना रहे हैं.
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