उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील ने टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में बाघ और शेरों के लिए बनाए गए अत्याधुनिक बाड़ों का उद्घाटन किया. इन नव निर्मित बाड़ों को जनता के लिए समर्पित करते हुए टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क सोसाइटी के प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी ने कहा कि यह जू की इस सतत प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके तहत जानवरों के कल्याण के साथ-साथ दर्शकों के अनुभव को भी बेहतर बनाया जा रहा है.
पारदर्शी और खुले बाड़े: सुरक्षा और सौंदर्य का मेल
इन बाड़ों का निर्माण टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड (TSUISL) द्वारा किया गया है. बाड़ों की विशेषता यह है कि इनमें पारदर्शी कांच की खिड़कियों के माध्यम से दर्शक जानवरों को नज़दीक से देख सकते हैं, साथ ही बाड़े प्राकृतिक वातावरण के अनुकूल खुले रखे गए हैं, जिससे जानवरों को अधिक स्वच्छंदता का अनुभव हो.
क्षेत्र में सबसे उन्नत बाड़े माने जा रहे हैं ये संरचनाएं
बाघों और शेरों के लिए तैयार किए गए ये नए बाड़े पूर्वी भारत के सबसे उन्नत और सुरक्षित आवासों में गिने जा रहे हैं. इनकी डिज़ाइन में न केवल सुरक्षा का ध्यान रखा गया है, बल्कि जानवरों की स्वाभाविक गतिविधियों और मानसिक स्थिति के अनुकूल वातावरण भी तैयार किया गया है.
टाटा जू की बाघ और शेरों की खास टोली
वर्तमान में टाटा जू में दो बाघिनें, सलोनी और सुनैना निवास कर रही हैं. हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित बालासाहेब ठाकरे प्राणी उद्यान से एक नर बाघ रुद्र और एक मादा बाघ मेघना को टाटा जू लाया गया है. यह अदला-बदली अफ्रीकी ग्रे तोतों की एक जोड़ी के बदले में की गई है.
अफ्रीकी शेरों के संरक्षण में अग्रणी टाटा जू
टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क भारत का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर है जहाँ अफ्रीकी शेरों की नस्ल संरक्षित की जा रही है. वर्तमान में यहां तीन शेर रह रहे हैं — दो नर और एक मादा. यह जू केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जैव विविधता और दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण का एक जीवंत केंद्र बन चुका है.
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