उदित वाणी, जमशेदपुर: सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार) एवं पथ – पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला के आठवें दिन प्रतिभागियों ने अभिनय की एक अनूठी विधा से परिचय प्राप्त किया.प्रथम सत्र में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली से प्रशिक्षित और चर्चित रंगकर्मी सुमन पूर्ति ने ‘निःशब्द अभिनय’ के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि मौन रहते हुए भी शरीर कैसे संवाद करता है—मुद्राएं, हावभाव और आंखें स्वयं भाषा बन जाती हैं.
सुमन पूर्ति ने कई शारीरिक गतिविधियों और अभ्यासों के माध्यम से भावाभिव्यक्ति, तालमेल और सामूहिक ऊर्जा को महसूस करने की दिशा में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया. उन्होंने यह बात स्पष्ट की कि रंगमंच किसी एक व्यक्ति के नेतृत्व पर नहीं, बल्कि समूह की एकजुटता पर आधारित होता है. उन्होंने कहा—”ग्रुप ही असली लीडर होता है.”
समूह निर्माण और दृश्य संरचना पर सत्र
दूसरे सत्र का संचालन कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम ने किया. उन्होंने समूह निर्माण, सहयोग और दृश्य संरचना पर आधारित व्यावहारिक गतिविधियाँ संचालित कीं. उन्होंने कहा—”नाट्य कला में समूह ही आत्मा है. जब तक पूरी टीम की ऊर्जा मंच पर नहीं झलकती, कोई कलाकार प्रभाव नहीं छोड़ सकता.”
समर्पित सहभागिता और रचनात्मकता की उड़ान
प्रतिभागियों ने दोनों सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया. उन्होंने अभिनय की बारीकियों को आत्मसात करते हुए रचनात्मक प्रयोग भी किए. पूरे दिन की गतिविधियों में शरीर, मन और संवाद के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर विशेष जोर रहा. यह कार्यशाला केवल अभिनय की तकनीकी शिक्षा नहीं दे रही, बल्कि युवाओं में आत्मविश्वास, संप्रेषण क्षमता और रचनात्मक दृष्टिकोण को भी सशक्त कर रही है.
आगे भी होंगे अनुभव-संपन्न रंगकर्मियों के विशेष सत्र
आगामी दिनों में कार्यशाला में कई अनुभवी रंगकर्मी विशेष सत्रों का संचालन करेंगे. युवाओं के लिए यह एक सशक्त मंच बनता जा रहा है, जहां अभिनय के माध्यम से वे अपने भीतर की संभावनाओं को पहचान रहे हैं.
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