उदित वाणी, जमशेदपुर: रंगमंच न केवल एक कला का रूप है, बल्कि यह आत्म-अभिव्यक्ति, संवाद और समाज से जुड़ाव का शक्तिशाली माध्यम भी है. इसी दृष्टिकोण के साथ झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग द्वारा पीपल्स एसोसिएशन फॉर थिएटर (Path Theatre) बिस्टुपुर में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला का दूसरा दिन भी अत्यधिक उत्साही और सफल रहा.
कार्यशाला का उद्देश्य और युवाओं की भागीदारी
कार्यशाला के दूसरे दिन शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए युवाओं का जोश और उत्साह स्पष्ट था, जिसमें कई नए चेहरे थे, जो अभिनय की दुनिया में कदम रख रहे थे. कार्यशाला का उद्देश्य नाट्यकला के माध्यम से युवाओं को समाज से जोड़ना, उनके रचनात्मक कौशल को निखारना और उन्हें आत्म-अभिव्यक्ति का एक सशक्त मंच प्रदान करना था.
शारीरिक और मानसिक अभ्यास
दिन की शुरुआत उत्साही फुल बॉडी एक्सरसाइज से हुई, जिसमें प्रतिभागियों को शरीर की लय, संतुलन और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अभ्यास कराया गया. इसके बाद वॉयस मॉड्यूलेशन, थ्रोइंग, ब्रीदिंग कंट्रोल, स्पीच क्लैरिटी और माइम एक्ट जैसी गतिविधियाँ की गईं, जो उनके प्रदर्शन कौशल को बेहतर करने में मददगार साबित हुईं.
मुख्य प्रशिक्षक का मार्गदर्शन
रंगमंच के अनुभवी प्रशिक्षक मोहम्मद निजाम ने नाट्यकला की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की और मंच अनुशासन, शरीर की भाषा और अभिव्यक्ति की ताकत के बारे में बताया. उन्होंने थिएटर को “आत्मा की आवाज़” करार दिया और कहा, “एक कलाकार का शरीर और आवाज़ उसका सबसे बड़ा औजार होता है.”
आत्म-अभिव्यक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी
यह कार्यशाला उन युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो अभिनय के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं या आत्म-अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज से संवाद स्थापित करना चाहते हैं. इसके साथ ही यह उन्हें जीवन कौशल जैसे अनुशासन, टीमवर्क, संवाद कौशल, आत्मविश्वास और रचनात्मकता भी सिखा रही है.
झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना
झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त करने की दिशा में यह कार्यशाला एक अहम कदम है. नाट्यकला न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह समाज के सवालों को मंच पर लाकर चेतना का निर्माण करती है. इस तरह की कार्यशालाएँ युवाओं में रचनात्मक ऊर्जा भरने के साथ-साथ उनमें समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी उत्पन्न करती हैं.
आगे की योजना
आगामी दिनों में कार्यशाला में चरित्र निर्माण, संवाद लेखन, दृश्य प्रस्तुति, एक्टिंग थ्रू इमोशंस, नाट्य प्रस्तुति की तैयारी, फाइनल प्रोडक्शन जैसे सत्रों का आयोजन किया जाएगा. कार्यशाला के अंत में एक नाट्य प्रस्तुति का मंचन भी किया जाएगा, जिसमें प्रतिभागी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.
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