नई दिल्ली: पीएम पोषण योजना के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसमें उपयोग होने वाली सामग्री लागत में 9.50 फीसदी की वृद्धि की है. इस वृद्धि के कारण केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025-26 में लगभग 954 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत वहन करेगी.
खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य
इस पहल से विद्यार्थियों को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन मिलता रहेगा. नई दरें 1 मई से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होंगी. पीएम पोषण योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें 10.36 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय शामिल हैं.
छात्रों की संख्या
इस योजना के तहत बाल वाटिका और कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत 11.20 करोड़ विद्यार्थियों को दिन में एक बार गर्म पका हुआ भोजन दिया जाता है. योजना का उद्देश्य पोषण सहायता प्रदान करना और विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाना है.
सामग्री लागत का निर्धारण
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि पीएम पोषण योजना के अंतर्गत भोजन बनाने के लिए दाल, सब्जियाँ, तेल, मसाले और ईंधन आदि की खरीद के लिए ‘सामग्री लागत’ प्रदान की जाती है. सामग्री लागत के अलावा, भारत सरकार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से लगभग 26 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न भी उपलब्ध कराती है.
खाद्यान्न लागत का विवरण
भारत सरकार खाद्यान्न की 100 प्रतिशत लागत वहन करती है. इसमें प्रति वर्ष लगभग 9,000 करोड़ रुपये का अनुदान और भारतीय खाद्य निगम डिपो से विद्यालयों तक खाद्यान्न की 100 प्रतिशत परिवहन लागत शामिल है. योजना के अंतर्गत खाद्यान्न लागत सहित सभी घटकों को जोड़ने के बाद प्रति भोजन लागत बाल वाटिका और प्राथमिक कक्षाओं के लिए लगभग 12.13 रुपये और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 17.62 रुपये आती है.
मुद्रास्फीति के आंकड़े
केंद्रीय श्रम मंत्रालय का श्रम ब्यूरो, पीएम पोषण के अंतर्गत इन वस्तुओं के लिए मुद्रास्फीति के आंकड़े प्रदान करता है. इन आंकड़ों के अनुसार, पीएम पोषण के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) तैयार किया गया है. ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह सूचकांक देश के 20 राज्यों में फैले 600 गांवों के नमूने से निरंतर मासिक मूल्य एकत्र करने के आधार पर जारी किया जाता है.
न्यूनतम अनिवार्य दरें
ये सामग्री लागत दरें न्यूनतम अनिवार्य दरें हैं. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसमें अपने निर्धारित हिस्से से अधिक योगदान देने के लिए स्वतंत्र हैं. गौरतलब है कि कुछ राज्य पीएम पोषण योजना के अंतर्गत अधिक पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए अपने स्वयं के संसाधनों से भी योगदान कर रहे हैं.
(आईएएनएस)
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