उदित वाणी, रांची: झारखंड के 65 अंगीभूत महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई जारी है. नया शिक्षा नीति 2020 के तहत 10+2 की पढ़ाई अब विद्यालयों में ही करवाई जाएगी. इस परिवर्तन के चलते महाविद्यालयों में वर्षों से कार्यरत इंटरमीडिएट प्रभाग के शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के समक्ष बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है.
नामांकन प्रक्रिया में बदलाव
झारखंड अधिविध परिषद ने 28 जून 2023 को एक पत्र जारी कर डिग्री संबंधित महाविद्यालयों को सत्रवार नामांकन प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से कम करने का निर्देश दिया था. इसके तहत नामांकन के लिए उपलब्ध सीटों में कटौती की गई, जिससे अगले दो-तीन सत्रों के बाद इंटरमीडिएट की शिक्षा को महाविद्यालयों से पूरी तरह अलग करने का निर्णय लिया गया. वर्ष 2024-26 सत्र में 384 सीटों पर नामांकन लिया गया था, जबकि 2025-27 सत्र के लिए केवल 256 सीटें निर्धारित की गई हैं.
वेतन का संकट
अब समस्या यह है कि इन कर्मचारियों को वेतन इसी नामांकन के पैसे से दिया जाता था. चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को 6000 रुपए और तृतीय वर्गीय कर्मचारियों को 8000 रुपए दिए जाते हैं. यदि केवल 256 सीटों पर नामांकन होता है, तो इन कर्मचारियों को पूरे वर्ष का वेतन भी ठीक से नहीं मिल पाएगा. इन कर्मचारियों ने कई बार झारखंड के माननीय राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विभिन्न विधायकों से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है. सभी ने आश्वासन दिया कि हमारी सरकार अबुआ सरकार है और किसी को भी बेरोजगार नहीं होने दिया जाएगा.
रांची विश्वविद्यालय की भूमिका
हालांकि, रांची विश्वविद्यालय के सरकार विरोधी वाइस चांसलर ने पिछले सत्र में नामांकन को तानाशाही तरीके से बंद करवा दिया. वहां कार्यरत कर्मचारियों को कोर्ट के हवाले देकर काम करने से रोका जा रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुझाव दिया था कि नियमावली बनाकर इन कर्मचारियों को अपने स्तर से व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन रांची विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने झारखंड उच्च न्यायालय के निर्णय को गलत अर्थ देकर महाविद्यालय के प्राचार्य को धमकी भरी नोटिस देकर कर्मचारियों को काम करने से मना किया.
अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन
इन सभी समस्याओं के खिलाफ रांची विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों ने 08 अप्रैल 2025 से राजभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. इन कर्मचारियों की मांग है कि जब तक उनका महाविद्यालय या 10+2 विद्यालय में समायोजन नहीं किया जाता, तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे. उनका कहना है कि उन्होंने अपना पूरा युवावस्था महाविद्यालय के कार्यों में अल्प वेतन में बिताया है, यह सोचकर कि भविष्य में सरकार उनके बारे में अच्छा सोच सकती है. अब 15 से 20 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की उम्र इतनी नहीं बची है कि वे किसी भी वैकेंसी को भर सकें.
कर्मचारियों की मांग
इन शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को महाविद्यालय द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के लिए 6000 रुपए और तृतीय वर्गीय कर्मचारियों के लिए 8000 रुपए दिए जाते हैं, जबकि उनसे स्नातक और स्नातकोत्तर तक के कार्य कराए जाते हैं. इसके साथ ही, समय-समय पर झारखंड के निकाय चुनाव, लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी इन कर्मचारियों से काम लिया जाता है. अब ये कर्मचारी सरकार से महाविद्यालय की रिक्त सीटों या 10+2 विद्यालय में अपने समायोजन की मांग कर रहे हैं.
प्रमुख सहभागी
धरना प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों में नितिश कुमार, सैसब सरकार, सौरव मिश्रा, विशंभर कुमार, मंजेश महत्ता, अंगद कुमार, आनंद कुमार, इंदु शर्मा एवं अन्य शिक्षकेत्तर कर्मचारी शामिल हैं.
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