उदित वाणी, जमशेदपुर: मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर के आउटरीच विभाग ने 8 और 9 अप्रैल को एक विशेष अभियान के तहत पूर्वी सिंहभूम के पांच सरकारी विद्यालयों की 2200 से अधिक छात्राओं के बीच पुन: उपयोगी और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन वितरित किए. यह पहल मणिपाल फाउंडेशन के सहयोग से उनके कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित की गई.
कौन-कौन से स्कूल हुए लाभान्वित?
इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सुंदरनगर की 875+, कन्या विद्यालय जुगसलाई की 260+, बर्मा माइंस की 400+, मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस साकची की 270+ तथा आदिवासी स्कूल सीतारामडेरा की 270+ छात्राओं को लाभ मिला.
माहवारी स्वच्छता पर संवाद और प्रशिक्षण
कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को माहवारी से जुड़ी स्वच्छता, नैपकिन के सुरक्षित उपयोग और जैविक रूप से उपयोगी तरीकों से निपटान की जानकारी दी गई. मणिपाल फाउंडेशन के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित इंटरैक्टिव ट्रेनिंग से छात्राओं को आत्मविश्वास के साथ इस विषय पर जागरूक किया गया.
क्या खास हैं ये नैपकिन?
इन सैनिटरी नैपकिनों को कॉटन और केले के तनों के फाइबर से निर्मित किया गया है. इन्हें धोकर, धूप में सुखाकर तीन वर्षों तक पुन: प्रयोग में लाया जा सकता है. यह पहल पर्यावरण के अनुकूल विकल्प को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है.
स्वास्थ्य और पर्यावरण, दोनों के लिए जिम्मेदार पहल
इस कार्यक्रम के माध्यम से मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने किशोरियों में ना सिर्फ स्वच्छता और आत्म-सम्मान का संदेश पहुँचाया, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता को भी एक नई दिशा दी है. यह पहल सामाजिक ज़िम्मेदारी की दृष्टि से एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में उभर कर सामने आई है.
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