अब ओडिशा में ही बढ़ेगा टाटा स्टील का उत्पादन
उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील इंडिया अगले पांच साल में अपने प्रोडक्शन को 40 मिलियन टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. सोमवार को टाटा स्टील की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में टाटा स्टील इंडिया का प्रोडक्शन बढ़कर 21.8 मिलियन टन हो गया है. पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में यह बढ़ोतरी 20.78 मिलियन टन था. इसका मतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में एक मिलियन टन उत्पादन बढ़ा है. अगर इस गति से उत्पादन बढ़ेगा तो अगले पांच साल में केवल 5 मिलियन टन उत्पादन ही बढ़ पाएगा. मगर टाटा स्टील के सूत्रों का कहना है कि टाटा स्टील कलिंगानगर में नया ब्लास्ट फर्नेस के लगने और नीलांचल के ऑपरेशनल होने से उत्पादन में गति आएगी. लगभग 20 मिलियन टन उत्पादन की बढ़ोतरी ओडिशा में ही होगी, क्योंकि टाटा स्टील जमशेदपुर में उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं है.
विस्तारिकरण अब ओडिशा में ही
टाटा स्टील अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार अब केवल ओडिशा में ही करेगा, क्योंकि जमशेदपुर प्लांट का विस्तार अब संभव नहीं है. फिलहाल जमशेदपुर प्लांट की उत्पादन क्षमता 10 मिलियन टन के बराबर है. इस तरह टाटा स्टील के कुल उत्पादन में आधे से ज्यादा की हिस्सेदारी जमशेदपुर प्लांट की है. अभी टाटा स्टील की उत्पादन क्षमता 21.8 मिलियन टन है. इस 21.8 मिलियन टन में 10.5 टन अकेले टाटा स्टील जमशेदपुर की हिस्सेदारी है. लेकिन 40 मिलियन टन उत्पादन होने पर ओडिशा की हिस्सेदारी लगभग 30 मिलियन टन हो जाएगी.
टाटा स्टील का प्लांट जमशेदपुर के अलावा ओडिशा के कलिंगानगर और अंगुल (मेरा मंडली) में है. टाटा स्टील के सामने उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने की दोहरी चुनौती भी है. टाटा स्टील ने 2047 तक नेट जीरो कार्बन का लक्ष्य निर्धारित किया है.
जमशेदपुर में विस्तारिकरण क्यों संभव नहीं
टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट का विस्तार अब संभव नहीं है. एक तो यह प्लांट शहर के बीचोंबीच है, दूसरे इसे और विस्तारिकरण के लिए इन्वायरमेंटल क्लियरेंस नहीं है. ऐसे में टाटा स्टील जमशेदपुर के लिए यहां पर अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना बेहद मुश्किल है. यह मदर प्लांट जब 1907 में शुरू हुआ था, तो इसकी उत्पादन क्षमता केवल आधा मिलियन टन थी, जो आज 21 गुना बढ़ गई है. फिलहाल इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 10.5 मिलियन टन है. यही कारण है कि अब जमशेदपुर में डाउनस्ट्रीम बिजनेस में टाटा समूह निवेश कर रहा है. इसी के तहत टिनप्लेट और तार कंपनी में नया निवेश किया गया है.
ओडिशा में दो प्लांट
टाटा स्टील के दो प्लांट ओडिशा में हैं. इनमें से एक कलिंगानगर और दूसरा अंगुल (मेरा मंडली) में है. कलिंगानगर में दूसरे चरण का विस्तारिकरण शुरू होने जा रहा है. 2023 में टाटा स्टील ने महंगा सौदा होने के बाद भी नीलांचल को अधिग्रहित किया, क्योंकि उसके पास जमीन काफी है, जिसे विस्तारिकरण के लिए उपयोग में लाया जाएगा. नीलांचल में उत्पादन भी शुरू हो गया है और इसकी उत्पादन क्षमता को 6 मिलियन टन ले जाने का लक्ष्य है. यही नहीं, अंगुल स्थित भूषण स्टील की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी.
टाटा स्टील कलिंगानगर का विस्तारिकरण कर इसमें और 8 मिलियन टन उत्पादन को शामिल किया जाना है. इस तरह अगले पांच साल में टाटा स्टील का उत्पादन 40 मिलियन टन के करीब हो जाएगा, जिसमें से 30 मिलियन टन यानी तीन चौथाई उत्पादन ओडिशा में होने लगेगा.
ओडिशा में विस्तारिकरण की क्या है वजह
टाटा स्टील द्वारा अपने बिजनेस और निवेश को ओडिशा में बढ़ाने की वजह यह है कि वहां पर उत्पादन के साथ ही बिजनेस की संभावनाएं काफी हैं. यही नहीं, नया प्लांट होने के चलते यहां पर प्रति टन स्टील बनाना, जमशेदपुर के मुकाबले काफी किफायती है.
जमशेदपुर प्लांट पर लाइबिलिटी काफी है. एक तो पुराने कर्मचारियों के (स्टील वेज) होने के कारण उनके वेतन का भार ओडिशा के प्रति कर्मचारी के वेतन से काफी है. दूसरा, जमशेदपुर का प्लांट पुराना है. ऐसे में पुराने की जगह नए इन्फ्रास्ट्रक्चर करने पर कंपनी को काफी लागत आ रही है. मसलन, कंपनी अपने सारे पुराने ब्लास्ट फर्नेस को बदलकर उसे ग्रीन फर्नेस करने जा रही है. अब इसमें परम्परागत ईंधन की जगह हाइड्रोजन का इस्तेमाल होगा. तीसरी कि ओडिशा के ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट होने के चलते सरकार की ओर से कंपनी को कई तरह की रियायतें मिल रही हैं. यही कारण है कि टाटा स्टील का जोर भी अब ओडिशा पर ज्यादा है.
क्या होगा इसका असर
टाटा स्टील का तीन चौथाई बिजनेस ओडिशा में चले जाने के बाद कंपनी का पूरा डोमेन बदल जाएगा और उसका जोर जमशेदपुर की बजाय ओडिशा पर होगा. इसका असर होगा कि कंपनी का एडमिनिस्ट्रेशन धीरे-धीरे ओडिशा शिफ्ट कर जाएगा. यही नहीं, अधिकतर कंपनी के बड़े अधिकारी ओडिशा में बैठेंगे और वहां से काम देखेंगे, क्योंकि अगले पांच साल में तीन चौथाई बिजनेस ओडिशा के पास होगा.
इसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही एमडी, आईएल टू अधिकारियों का ज्यादा समय ओडिशा में बीतेगा. यही नहीं, नए रोजगार के सृजन होने पर ओडिशा के स्थानीय लोगों को ज्यादा नौकरी मिलेगी. इसका असर दिखना शुरू भी हो गया है क्योंकि इस साल एक अप्रैल का केक कटिंग कार्यक्रम टाटा स्टील कलिंगानगर में हुआ. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने भी साफ कर दिया है कि टाटा स्टील की प्राथमिकताएं बदल रही हैं.
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