उदित वाणी, पाकुड़: पाकुड़ में रामनवमी जुलूस को रोके जाने के मामले को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने भी रोष जताया है. चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कहा कि पाकुड़ में प्रशासन की ओर से ग्रामीणों के रामनवमी जुलूस पर रोक लगाना राज्य सरकार की हिन्दू-विरोध मानसिकता को दर्शाता है. हिन्दू/मूलवासी समाज वैसे भी शांतिप्रिय होता है, लेकिन अगर सरकार को लगता है कि वे रामनवमी शोभायात्रा को सुरक्षा तक नहीं दे सकते, तो फिर क्या कहें? मैंने पहले भी कहा था कि पाकुड़ में आदिवासी/हिन्दू समाज अल्पसंख्यक हो चुका है, जबकि एक समुदाय विशेष की आबादी दो-तिहाई के करीब है. तो क्या सरकार यह बताना चाहती है कि जाहां कहीं भी हिन्दू अल्पसंख्यक होंगे, वहां उनके आर्थिक/संवैधानिक अधिकारों को इसी प्रकार छीन लिया जाएगा? क्या झारखंड में हिन्दू होना अपराध है? क्या राज्य सरकार किसी अन्य धर्म के पर्व-त्योहारों पर ऐसा ही तुगलकी फ़रमान जारी करने का साहस दिखा सकती है?
पर्व-त्योहारों के दौरान राज्य सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखा प्रहार किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पाकुड़ जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को रामनवमी का जुलूस निकालने से रोकने का आदेश आस्था पर सीधा प्रहार है. उन्होंने आगे कहा कि पाकुड़ में जब ताजिये निकाल सकते हैं, तो फिर रामनवमी का जुलूस क्यों नहीं? सरकार ने आज रामनवमी पर रोक लगाई है, कल दीपावली और दुर्गा पूजा पर भी इसी तरह तुगलकी फरमान जारी होंगे. हिन्दू विरोधी तत्वों के दबाव में प्रशासनिक व्यवस्था का झुक जाना, लोकतंत्र के लिए खतरा है. झारखंड में ये कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि एक चलन बनता जा रहा है, जहां हिन्दू पर्वों को कानून-व्यवस्था के नाम पर बाधित किया जा रहा है, जबकि विशेष समुदाय को हर सुविधा दी जाती है. ऐसा लगता है कि हेमंत सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में पाकुड़ को अघोषित रूप से ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की तैयारी शुरू कर दी है.
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