उदित वाणी, पुणे: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने आईआईटीयन प्रशिक्षण केंद्र प्राइवेट लिमिटेड (IITPK) पर महज एक विज्ञापन के कारण 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई उस विज्ञापन के लिए की गई, जिसमें IIT-JEE परीक्षा के परिणामों के बारे में भ्रामक और गलत दावे किए गए थे. इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी वस्तु या सेवा के बारे में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से गुमराह न किया जाए, जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत निषिद्ध है.
CCPA की कार्रवाई और पहले के मामलों की जानकारी
सीसीपीए ने अब तक 46 कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापनों के लिए नोटिस जारी किया है. इसके अलावा, 24 कोचिंग संस्थानों पर 77 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका है, साथ ही उन्हें भविष्य में भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन से भी रोका गया है.
IITPK के विज्ञापनों में भ्रामक दावे
आईआईटीपीके के विज्ञापनों में “आईआईटी टॉपर” और “नीट टॉपर” जैसे शीर्षक प्रमुखता से दिखाए गए थे. इसके साथ ही अभ्यर्थियों के नाम और तस्वीरों के सामने बोल्ड नंबर ‘1’ और ‘2’ का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह भ्रामक धारणा बनाई गई कि ये छात्र संबंधित परीक्षाओं में अखिल भारतीय रैंक में शीर्ष पर थे. असल में, ये छात्र केवल संस्थान के भीतर के टॉपर थे, न कि राष्ट्रीय स्तर पर. इस तरह के झूठे दावे छात्रों के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर उन छात्रों को जो 7वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई कर रहे होते हैं.
IIT Rank पर भ्रामक दावे
विज्ञापन में IITPK ने “पिछले 21 वर्षों में 1384 आईआईटी रैंक” का दावा किया था, जिससे यह यह आभास हुआ कि संस्थान द्वारा प्रशिक्षित इन छात्रों ने आईआईटी में प्रवेश प्राप्त किया. हालांकि, जांच में पाया गया कि यह आंकड़ा विभिन्न अन्य संस्थानों के प्रवेशों को भी शामिल करता था, जैसे IIT, IIIT, NIT, और अन्य प्राइवेट विश्वविद्यालय, जिनमें IIT का नाम नहीं था. इस तरह के भ्रामक दावों ने उपभोक्ताओं को गुमराह किया और संस्थान के बारे में गलत धारणा बनाई.
सफलता अनुपात के भ्रामक दावे
IITPK ने अपने विज्ञापनों में “साल दर साल सबसे ज्यादा सफलता अनुपात”, “21 वर्षों में सबसे अच्छा सफलता अनुपात” और “61 प्रतिशत सफलता अनुपात” जैसे दावे किए थे. ये आंकड़े बिना किसी प्रमाण या सहायक डेटा के पेश किए गए थे, जिससे उपभोक्ताओं को यह विश्वास हुआ कि संस्थान के 61 प्रतिशत छात्र आईआईटी में प्रवेश पा जाते हैं. इन दावों का कोई स्वतंत्र सत्यापन नहीं किया गया था, और यह भी स्पष्ट नहीं किया गया था कि यह आंकड़ा सिर्फ संस्थान के अंदर के प्रदर्शन को दर्शाता है, न कि राष्ट्रीय स्तर पर.
CCPA का निर्णय और इसके प्रभाव
सीसीपीए ने पाया कि आईआईटीपीके ने जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया और विज्ञापनों के माध्यम से छात्रों को गुमराह किया. इस कारण से, सीसीपीए ने छात्र हितों की रक्षा के लिए जुर्माना लगाया और भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन पर रोक लगाने का आदेश दिया. यह कदम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत आवश्यक था, ताकि छात्रों और अभिभावकों को सही जानकारी मिल सके और वे सही निर्णय ले सकें.
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