उदित वाणी, आदित्यपुर: झारखंड राज्य के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर अधिकार प्राप्त समिति (इम्पावर्ड कमिटी ऑन एमएसएमई) की 65वीं बैठक हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक, राँची कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक की अध्यक्षता में आयोजित की गई. इस बैठक में राज्य स्तरीय एमएसएमई ऋण प्रवाह और इससे संबंधित नीतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ. आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के उपाध्यक्ष संतोख सिंह और सचिव अशोक गुप्ता ने बैठक में एसिया का प्रतिनिधित्व किया और उद्योग क्षेत्र में उत्पन्न समस्याओं के संबंध में आरबीआई के अधिकारियों को 10 बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने एक मांग पत्र भी सौंपा.
सावधि ब्याज और कार्यशील पूंजी पर ब्याज सब्सिडी की मांग
बैठक में एसिया की टीम ने सावधि ब्याज और कार्यशील पूंजी (टर्म लोन और वर्किंग कैपिटल) दोनों पर ब्याज सब्सिडी देने का सुझाव दिया. उन्होंने यह भी कहा कि ऋण देने से पहले आरबीआई को वैधानिक अनुमोदनों से संबंधित स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए. यदि किसी इकाई ने वैधानिक अनुमोदनों से संबंधित अपनी जिम्मेदारी निभाई है और देरी वैधानिक निकायों की ओर से हो रही है, तो ऐसी स्थिति में ऋण वितरण में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए.
वित्तीय रूप से तनावग्रस्त एमएसएमई को चाहिए समर्थन
एसिया ने यह भी कहा कि वित्तीय रूप से तनावग्रस्त एमएसएमई को वित्तीय संस्थानों से समर्थन की आवश्यकता है. वर्तमान में बैंकों का दृष्टिकोण यह है कि वे केवल उन एमएसएमई को ऋण देते हैं, जो वित्तीय रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे होते हैं. लेकिन वित्तीय संकट से जूझ रही इकाइयों को अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है.
शून्य पूर्व-भुगतान शुल्क पर दिशा-निर्देश की आवश्यकता
एसिया ने आरबीआई से अनुरोध किया कि वह एमएसएमई द्वारा लिए गए ऋणों के लिए शून्य पूर्व-भुगतान शुल्क पर दिशा-निर्देश जारी करें. वर्तमान में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों तथा एनबीएफसी द्वारा पूर्व-भुगतान शुल्क लिया जाता है, जो एमएसएमई के लिए समस्या उत्पन्न करता है. इसके अलावा, बैंकों द्वारा लगाए गए फोरक्लोजर शुल्क को माफ करने का भी सुझाव दिया गया.
ऋण स्वीकृति में समयसीमा तय करने की सिफारिश
एसिया ने आरबीआई से यह भी अनुरोध किया कि सभी बैंकों के लिए ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया को 45 कार्य दिवसों में पूरा करने के लिए एक अनिवार्य एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी किया जाए. साथ ही, सीमा के नवीनीकरण के लिए अधिकतम 30 कार्य दिवस की समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिए.
किस्तों में अस्थायी कमी के समाधान के लिए एकल खिड़की सेवा
एसिया ने बैंक की मंजूरी के अधीन किस्तों (ईएमआई) में अस्थायी कमी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए एकल खिड़की बनाने का सुझाव दिया. इससे संबंधित इकाइयों को सुविधा मिलेगी और यह तकनीकी एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) के रूप में नहीं माना जाएगा, जिससे सिबिल रिपोर्ट प्रभावित नहीं होगी.
ऋण प्रसंस्करण शुल्क में देरी की समस्या
एसिया ने ऋण प्रसंस्करण शुल्क में देरी पर भी चिंता जताई और इसके लिए आरबीआई से सभी बैंकों को सूचित करने का अनुरोध किया. उनका कहना था कि यह मूल्यांकन बैंक के कार्य का हिस्सा है और एमएसएमई इकाइयों के लिए इसे एक अलग विंडो के तहत प्रक्रिया में लाया जाना चाहिए.
आरबीआई का समाधान का आश्वासन
बैठक में आरबीआई के अधिकारियों ने उद्योग हित में समाधान का आश्वासन दिया. एमएसएमई के लिए लागू होने वाली नीतियों में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की बात कही गई.
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