उदित वाणी, बोकारो: झारखंड राज्य सरकार ने बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) द्वारा इस्तेमाल नहीं की जाने वाली 245.43 एकड़ वन भूमि को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस संबंध में बीएसएल प्रबंधन को सूचित कर दिया गया है. अगर बीएसएल इस निर्णय पर अमल नहीं करता, तो सरकार ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. इसके अलावा, इस मामले में स्टील सिटी के अधिकारियों की लापरवाही या संलिप्तता पर भी सवाल उठाए गए हैं.
बीएसएल को दी गई वन भूमि और उच्चस्तरीय बैठक
बीएसएल को दी गई वन भूमि और उसकी खरीद-बिक्री के मामले में नवंबर 2024 में विभागीय सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी. बैठक में यह पाया गया कि हजारीबाग वन प्रमंडल ने सात गांवों की 671.09 एकड़ और बोकारो वन प्रमंडल ने 11 गांवों की 870.38 एकड़ वन भूमि बीएसएल को हस्तांतरित की थी. बीएसएल ने 1976 में पत्र लिखकर 10 गांवों की 864.21 एकड़ वन भूमि को अपने कब्जे में लेने की सूचना दी थी. 1996 में बीएसएल ने सरकार को पत्र भेजकर तेतुलिया की 95.65 एकड़ और सतनपुर की 149.78 एकड़ जमीन वापस करने की इच्छा जताई थी, लेकिन विभिन्न कारणों से यह भूमि सरकार को वापस नहीं की जा सकी.
संयुक्त समिति का गठन और सीमांकन की प्रक्रिया
मामले की समीक्षा करने के बाद, उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि बीएसएल द्वारा इस्तेमाल नहीं की गई वन भूमि को वापस लिया जाएगा. इस फैसले के क्रियान्वयन के लिए बीएसएल और वन प्रमंडल के अधिकारियों की एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी. इस समिति का उद्देश्य उपयोग नहीं की गई भूमि का सर्वेक्षण करना और उसे चिह्नित कर सीमांकन करने का है.
बीएसएल का अवरोध और कानूनी चेतावनी
जनवरी 2025 में, बोकारो वन प्रमंडल की ओर से बीएसएल से एक बैठक बुलाने का प्रयास किया गया था, लेकिन बीएसएल की ओर से कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुआ. इसके बाद बीएसएल ने जनवरी में सरकार को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने डीड ऑफ कन्वेंस के आधार पर अपना दावा किया. यह डीड अभी तक हस्ताक्षरित नहीं हुई है. बीएसएल के इस रवैये को देखकर सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर भूमि वापसी के फैसले पर अमल नहीं किया जाता, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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