उदित वाणी, जमशेदपुर: भारतीय धातु संस्थान (आईआईएम) के जमशेदपुर चैप्टर की ओर से गुरुवार को संक्षारण और कोटिंग्स विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ गोलमुरी के विवांता होटल में हुआ. आईआईएम का जमशेदपुर चैप्टर इस सम्मेलन का आयोजन टाटा स्टील लिमिटेड, सीएसआईआर-एनएमएल और एनआईटी जमशेदपुर के सहयोग से कर रहा है. सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधरी, विशिष्ट अतिथि, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के कार्यकारी निदेशक एके मनोहर, आईआईएम जमशेदपुर चैप्टर के अध्यक्ष और धातुकर्म एवं सामग्री इंजीनियरिंग के प्रमुख डॉ अशोक कुमार, इस सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ रघुवीर सिंह और संयोजक डॉ तपन राउत ने किया. मौके पर सुधांशु पाठक, पूर्व उपाध्यक्ष, इस्पात निर्माण, टाटा स्टील लिमिटेड, डॉ रामानुज नारायण, निदेशक सीएसआईआर-आईएमएमटी, प्रवीण थम्पी, मुख्य सीआरएम टीएसके, कोल्ड रोलिंग मिल , अतुल श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष, वुलस्पन समूह, डॉ ए एन भगत और डॉ एस तरफदार मौजूद थे.
सम्मेलन में 15 मुख्य व्याख्यान
सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और सम्मेलन के दो दिवसीय तकनीकी कार्यक्रम पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में चार पूर्ण व्याख्यान और 15 मुख्य व्याख्यान तथा 40 सहायक व्याख्यान शामिल है. हमारे पास 15 से अधिक पोस्टर्स हैं, साथ ही तकनीकी स्टॉल भी हैं, जिन्हें सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को दिखाया गया. आईआईएम जमशेदपुर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने आईआईएम के बारे में जानकारी दी और पूरे साल की गतिविधियों के बारे में बताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आईआईएम जमशेदपुर किस तरह समय की मांग के अनुरूप इस तरह के प्रतिष्ठित सम्मेलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
संक्षारण मूक दुश्मन है
मुख्य अतिथि, सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने बताया कि संक्षारण एक मूक दुश्मन है और इसके कारण हम हर साल सकल घरेलू उत्पाद का 2-3 फीसदी से अधिक खो देते हैं. यह समय सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को संक्षारण से निपटने हेतु एक टीम के रूप में काम करने का है. स्टील, हमारे देश को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, हालांकि स्टील संरचना को संक्षारण से बचाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.
संक्षारण को रोकने के लिए वैज्ञानिकों को आगे आने की जरूरत
विशिष्ट अतिथि, एनटीपीसी, नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक, एके मनोहर ने संक्षारण पर भाषण दिया और बताया कि किस प्रकार संक्षारण विद्युत संयंत्रों की सम्पूर्ण संरचना को नष्ट कर रही है. इसके लिए देश के वैज्ञानिकों से सुरक्षात्मक कोटिंग्स समाधान की आवश्यकता है. हम विभिन्न केंद्रित संघों के माध्यम से वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शिक्षाविदों के साथ मिलकर भी काम करते हैं. टाटा स्टील लिमिटेड के सरफेस इंजीनियरिंग रिसर्च ग्रुप, आरएंडडी के प्रधान वैज्ञानिक और सम्मेलन के संयोजक डॉ. तपन कुमार राउत ने सभी अतिथियों, प्रायोजकों, वक्ताओं, प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया. संयोजक डॉ राउत ने इस बात पर जोर दिया कि यह सम्मेलन अन्य जगहों पर आयोजित होने वाले सम्मेलनों से अलग है, जहां दो दिनों तक विचारों और नई तकनीकों पर चर्चा की जाएगी.
34 संस्थानों के 100 प्रतिनिधि
इस सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों और विदेशों (हाइब्रिड मोड) से 34 प्रतिष्ठित संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों और वक्ताओं ने भाग लिया. उनमें से कुछ आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी कानपुर, आईएससी, बैंगलोर, आईआईसीटी, हैदराबाद, जिंदल स्टील एंड पावर, आरएमआईटी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया, आईजेडए-नीदरलैंड, कॉमसोल-स्विट्जरलैंड, मैटेरियल्स डिजाइन, यूएसए से हैं. प्रायोजकों में टाटा स्टील, इलेक्ट्रोथर्म, ग्रोवेल, निप्पॉन पार्कराइजिंग, क्वेकर, हेन्केल, कॉमसोल, जीटीजेड, शिमादजु, फ्लोचर, ग्रीमोवोक, बायोमाटीक्यू, प्रोक्वेस्ट, श्रोंडिंगर, वाटर्स, पारट, मोनोपोल, टाटा ब्लूस्कोप, आईआरटेक, एक्सपोसोम, लैबगार्ड, यूनिवर्सल पेंट्स है. यह सम्मेलन तेल एवं गैस, रसायन, परमाणु एवं ताप विद्युत संयंत्रों, निर्माण और गतिशीलता उद्योगों में कोटिंग्स और उच्च तापमान संक्षारण में प्रगति संक्षारण निगरानी, लेखा परीक्षा, विफलता विश्लेषण और रोकथाम के साथ-साथ मॉडलिंग एवं भविष्यवाणी पर केंद्रित है.
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