उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर कांट्रैक्चुअल एसोसिएशन (JAPCA) की 31 जनवरी को ऑनलाइन संपन्न बैठक में संघ के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. एस.के. झा ने राज्य सरकार से नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों के नियमितीकरण की मांग की. उन्होंने बताया कि राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली शिक्षकों की कमी का सामना कर रही है.
शिक्षकों की कमी का संकट
राज्य में उच्च शिक्षा के लिए कुल 4317 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 65% (2808) पद रिक्त हैं. अगस्त 2023 में विभिन्न विश्वविद्यालयों से रोस्टर क्लियरेंस के बाद मात्र 2404 पदों के लिए जेपीएससी में अधियाचना भेजी गई. विडंबना यह है कि पिछले सात वर्षों से कार्यरत 700 नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों की भी अधियाचना भेजी गई है. डॉ. झा ने कहा कि कल्याणकारी राज्य के रूप में सरकार को वर्षों से कार्यरत नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियमित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.
नैक ग्रेडिंग की चुनौतियाँ
संघ के केंद्रीय सचिव डॉ. ब्रह्मानंद साहू ने बताया कि NAAC ग्रेडिंग के लिए 75% नियमित शिक्षकों का होना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों का नियमितीकरण कर शिक्षकों की कमी को शीघ्र दूर किया जा सकता है. सरकार को इस मामले में प्राथमिकता से कार्य करना चाहिए.
ऐतिहासिक संदर्भ
संघ के केंद्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. सुमंत कुमार ने बताया कि राज्य में 1978, 1980, और 1982 में अस्थाई शिक्षकों का नियमितीकरण सिर्फ 18 से 24 महीने के कार्यकाल पर किया गया था. वर्तमान में नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर सात वर्षों से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से शीघ्र नीति निर्माण की अपील की.
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
संघ के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. हरेंद्र पंडित ने सरकार से मांग की कि यूजीसी के अनुसार सहायक प्राध्यापक की आवश्यक अर्हता रखने वाले नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियमित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के पहले कार्यकाल में इस संबंध में अपेक्षा की गई थी, जब मुख्यमंत्री ने संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का वादा किया था.
शिक्षकों की सामूहिक आवाज
बैठक में झारखंड भर से करीब दो सौ शिक्षकों ने भाग लिया और सरकार से नियमितीकरण की मांग की. इस अवसर पर डॉ. सी.डी. मुंडा, डॉ. प्रभाकर कुमार, डॉ. अजयनाथ साहदेव, और अन्य शिक्षकों ने एकजुटता दिखाई. सैकड़ों नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों ने सरकार से सीधे स्वर में नियमितीकरण की मांग की है.
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