उदित वाणी, नई दिल्ली: भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME) को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLIs) को 60% तक की गारंटी सुविधा प्रदान की जाएगी. इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक के ऋण को कवर किया जाएगा, जिससे MSMEs को उपकरण और मशीनरी खरीदने में सहायता मिलेगी.
योजना की मुख्य विशेषताएँ
• आवेदक का MSME होना आवश्यक है और उसके पास मान्य उद्योग पंजीकरण (Udyam Registration) होना चाहिए.
• ऋण की अधिकतम सीमा 100 करोड़ रुपये होगी.
• परियोजना लागत इससे अधिक हो सकती है, लेकिन इसमें उपकरण/मशीनरी की लागत कम से कम 75% होनी चाहिए.
• 50 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए अधिकतम 8 वर्षों तक की पुनर्भुगतान अवधि होगी, जिसमें 2 वर्ष तक मूलधन चुकाने से छूट (moratorium period) दी जाएगी.
• 50 करोड़ से अधिक के ऋण के लिए अधिक लचीला पुनर्भुगतान और मोरेटोरियम दिया जा सकता है.
• गारंटी कवर आवेदन के समय कुल ऋण राशि का 5% जमा करना होगा.
• पहले वर्ष में कोई वार्षिक गारंटी शुल्क नहीं लगेगा. अगले तीन वर्षों के लिए यह बकाया ऋण राशि का 1.5% प्रति वर्ष होगा और उसके बाद 1% प्रति वर्ष लिया जाएगा.
कब तक लागू होगी यह योजना?
यह योजना चार वर्षों तक प्रभावी रहेगी या जब तक 7 लाख करोड़ रुपये तक की कुल गारंटी जारी नहीं हो जाती, जो पहले होगा, वह इसकी अंतिम सीमा होगी.
आर्थिक प्रभाव और लाभ
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 17% और 27.3 मिलियन श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है.
प्रधानमंत्री के “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” के विजन के तहत, भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को GDP के 25% तक ले जाने के लिए तत्पर है. यह योजना MSME क्षेत्र को अधिक ऋण उपलब्ध कराएगी, जिससे वे मशीनरी व उपकरण खरीदकर अपने उत्पादन को बढ़ा सकेंगे. इससे देश के निर्माण क्षेत्र को नई गति मिलेगी और “मेक इन इंडिया” अभियान को मजबूती मिलेगी.
योजना की पृष्ठभूमि
वर्तमान में वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएँ पुनः संगठित हो रही हैं, और भारत अपने कच्चे माल, कम श्रम लागत, औद्योगिक कौशल और उद्यमशीलता क्षमता के कारण एक वैकल्पिक आपूर्ति केंद्र के रूप में उभर रहा है. मशीनरी और उपकरणों की स्थायी लागत किसी भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की प्रमुख लागत होती है. यदि इन इकाइयों को अपनी स्थापित उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ऋण की सुविधा मिले, तो वे तेज़ी से विकास कर सकती हैं. उद्योग संगठनों द्वारा मीडियम एंटरप्राइजेज (मध्यम श्रेणी के उद्योगों) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना की मांग लगातार की जा रही थी. यही कारण है कि MSME के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME) शुरू की गई है. यह योजना बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा MSMEs को गारंटी-मुक्त ऋण प्रदान करने में सहायक होगी, जिससे वे अपने विस्तार और विकास के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकें.
कौन होंगे लाभार्थी?
इस योजना के तहत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCBs), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएँ (AIFIs), जो NCGTC के तहत पंजीकृत होंगी, ऋण देने के लिए पात्र होंगे.
MSME क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह योजना इस क्षेत्र को नया संबल प्रदान करेगी. इसके माध्यम से न केवल उद्योगों को विस्तार करने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता भी बढ़ेगी. यदि यह योजना सफल होती है, तो यह भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होगी.
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