चैंबर समेत विभिन्न संस्थाओं ने जताया शोक
उदित वाणी, जमशेदपुर: सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष और शहर के प्रतिष्ठित उद्योगपति अशोक भालोटिया का गुरुवार सुबह चार बजे कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. 67 साल के भालोटिया कैंसर से ग्रस्त थे. चार माह पहले ही उनके कैंसर का पता लगा था. उनके निधन की खबर मिलते ही शहर के उद्योगपतियों और व्यावसायियों में शोक की लहर दौड़ गई. भालोटिया इंजीनियरिंग वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड फर्म को खड़ा करने वाले अशोक भालोटिया अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. सिंहभूम चैंबर से लेकर विभिन्न संस्थाओं के लोगों ने उनके सर्किट हाउस स्थित आवास 10, जुबिली पार्क जाकर शोक संतप्त परिजनों को सान्त्वना दी और उन्हें इस दुख की घड़ी में ढ़ाढ़स बढ़ाया. उनके अनुज कृष्णा भालोटिया ने बताया कि उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार 24 जनवरी को सुबह साढ़े दस बजे निवास स्थान सर्किट हाउस से निकलेगी और पार्वती घाट पर अंतिम संस्कार होगा. अशोक भालोटिया व्यापार के साथ ही सामाजिक गतिविधियों में काफी सक्रिय रहे. चैंबर के अलावा वे गौशाला, राजस्थान सेवा सदन, अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन और अग्रवाल सम्मेलन से जुड़े रहे.
चैंबर ने अपना मार्गदर्शक खो दिया-मूनका
सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि चैंबर ने आज अपना मार्गदर्शक खो दिया. उनके साथ 2017 से लेकर 2019 के बीच चैंबर के महासचिव के रूप में काम किया. उनके बाद ही मैंने अध्यक्ष का पदभार संभाला था. चैंबर को उनका हर पल मार्गदर्शन मिलता रहा. कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी वे हमें छोड़ कर चले जाएंगे. समय के बेहद पाबंद, मृदुभाषी और गंभीर स्वभाव के थे. कम बोलते थे, मगर जो बोलते थे, वह आई ओपनर होता था. जब ही हम मुश्किल में होते, उनकसे राय-मशविरा जरूर लेते थे. वे बिना लाग-लपेट के बात करते थे. उनके निधन से पूरा चैंबर परिवार और चैंबर के पदाधिकारी शोकाकुल हैं.
उनके निधन से पूरा शहर मर्माहत है-शाह
युवा समाजसेवी आकाश शाह ने अशोक भालोटिया के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. शाह ने कहा कि जमशेदपुर ही नहीं, पूरे झारखंड के जाने-माने उद्योगपति और समाज सेवा में एक अमिट पहचान स्थापित करने वाले, सरल- सुलभ व्यक्तित्व के अशोक भालोटिया के निधन से पूरा शहर मर्माहत है. अशोक भालोटिया एवं उनके परिवार की कई पीढियों ने जमशेदपुर के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर सहयोग किया है. जमशेदपुर के विभिन्न मंदिरों, धार्मिक स्थलों, धर्मशालाओं सहित अन्य सामाजिक स्थानों का पुनरुद्धार करने में उनका अहम योगदान रहा है. उनके निधन से लौहनगरी का पूरा व्यवसायी वर्ग शोक में डूबा हुआ है. उनका निधन शहर के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है.
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