उदित वाणी, नई दिल्ली: भारत में कॉफी की शुरुआत 1600 ईस्वी में हुई, जब संत बाबा बुदन ने कर्नाटक की पहाड़ियों में सात मोचा बीज लगाए. यह साधारण कदम भारत को दुनिया के शीर्ष कॉफी उत्पादकों में से एक बनाने का आधार बना. बाबा बुदन गिरि की पहाड़ियों से शुरू हुई यह यात्रा अब भारत को वैश्विक स्तर पर कॉफी का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक बना चुकी है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 1.29 बिलियन डॉलर का कॉफी निर्यात किया, जो 2020-21 के 719.42 मिलियन डॉलर के मुकाबले दोगुना है.
वैश्विक स्तर पर भारतीय कॉफी की मांग
भारतीय कॉफी अपने अनूठे स्वाद और गुणवत्ता के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय है. जनवरी 2025 की पहली छमाही में भारत ने इटली, बेल्जियम और रूस सहित कई देशों में 9,300 टन से अधिक कॉफी निर्यात की. भारत में अरेबिका और रोबस्टा किस्मों की कॉफी का उत्पादन मुख्य रूप से किया जाता है, जिनका तीन-चौथाई हिस्सा बिना भुने बीन्स के रूप में निर्यात होता है.
घरेलू खपत में वृद्धि: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रुझान
कैफे संस्कृति के प्रसार और बढ़ती आय के कारण भारत में कॉफी की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है. 2012 में 84,000 टन की खपत से यह आंकड़ा 2023 में 91,000 टन तक पहुंच गया. यह कॉफी के प्रति बढ़ते प्रेम और इसे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है.
कर्नाटक: भारत की कॉफी राजधानी
भारत की कॉफी मुख्य रूप से पश्चिमी और पूर्वी घाटों में उगाई जाती है. कर्नाटक 2022-23 में 248,020 टन कॉफी उत्पादन के साथ सबसे आगे है. इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान है. छायादार बागानों में उगाई जाने वाली यह कॉफी न केवल भारतीय उद्योग को सहारा देती है, बल्कि जैव विविधता को संरक्षित करने में भी मदद करती है.
अराकू घाटी: आदिवासी समुदायों की सफलता की मिसाल
अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन में 20% वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें लगभग 150,000 आदिवासी परिवार शामिल हैं. यह सफलता कॉफी बोर्ड और आईटीडीए के सहयोग से संभव हुई है. गिरिजन सहकारी निगम (जीसीसी) द्वारा ऋण सहायता ने इन समुदायों को आत्मनिर्भर बनने में मदद की है.
कॉफी उद्योग को बढ़ावा देने की पहल
भारतीय कॉफी बोर्ड ने एकीकृत कॉफी विकास परियोजना (आईसीडीपी) के माध्यम से खेती की विधियों में सुधार, नए क्षेत्रों में विस्तार और स्थिरता सुनिश्चित करने पर काम किया है. ये प्रयास न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी मजबूत बनाते हैं.
भारत: वैश्विक कॉफी बाजार में एक मजबूत दावेदार
निर्यात प्रोत्साहन और आधुनिक पहल ने भारतीय कॉफी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी सशक्त बनाता है.
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