उदित वाणी, जमशेदपुर: 17 जनवरी को कंगना की बहुप्रतीक्षित फिल्म Emergency सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी हैं. फिल्म का निर्देशन कंगना के खुद किया है. फिल्म का निर्माण कंगना रनौत, उमेश कुमार बंसल और रेणु पिट्टी ने मिलकर किया है. फिल्म में कई कलाकार है. चलिए जानते हैं किसने कौन सा रोल प्ले किया है:
कंगना रनौत – इंदिरा गाँधी
अनुपम खेर – जयप्रकाश नारायण
श्रेयस तलपड़े – अटल बिहारी वाजपेयी
सतीश कौशिक – जगजीवन राम
विशाख नायर – संजय गांधी
मिलिंद सोमन – फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ
महिमा चौधरी – पुपुल जयकर
अधीर भट्ट – फ़िरोज़ गांधी
क्रिस्टोफ़ गाइबेट -Pompidou
डारिया गव्रुशेंको – रिपोर्टर बीबीसी
स्कॉट अलेक्जेंडर यंग – राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन
आलोक गागड़ेकर – शांति भूषण
मनवीर चौधरी – दूरदर्शन संवाददाता
आर. भक्ति क्लेन – हेनरी किसिंजर
अशोक छाबड़ा – मोरारजी देसाई
मनोज सिंह कैरा – अकबर अहमद डम्पी
फिल्म ‘इमरजेंसी’ कंगना रनौत के निर्देशन, लेखन और अभिनय का बेहतरीन संगम है. इस फिल्म को सिर्फ आपातकाल की घटनाओं तक सीमित करना गलत होगा. यह इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व और उनके जीवन के 1929 से 1984 तक के महत्वपूर्ण पहलुओं को समेटती है.
क्या यह एक पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण है?
पहले यह आशंका थी कि फिल्म इतिहास को तोड़-मरोड़ कर किसी खास एजेंडे को आगे बढ़ाएगी. लेकिन यह देखना सुखद है कि कंगना ने संतुलन बनाए रखा है. न तो यह इंदिरा का महिमामंडन करती है और न ही उनकी कटु आलोचना. यह फिल्म उनकी उपलब्धियों और कमियों दोनों पर प्रकाश डालती है.
कहानी: 1929 से 1984 तक
फिल्म इंदिरा गांधी के जीवन की प्रमुख घटनाओं को दिखाती है. 12 साल की इंदु की अपने दादा से अपनी बुआ को घर से निकालने की फरियाद से लेकर, 1984 में उनकी हत्या तक के सफर को फिल्म ने कुशलता से परदे पर उतारा है. इमरजेंसी की घोषणा, संजय गांधी के उभरते प्रभाव और बांग्लादेश के निर्माण में उनकी निर्णायक भूमिका को बारीकी से दिखाया गया है. फिल्म की तेज रफ्तार और घटनाओं का प्रवाह दर्शकों को बांधे रखता है.
कंगना का प्रदर्शन और निर्देशन
कंगना रनौत ने इंदिरा गांधी के किरदार में पूरी तरह डूबकर अभिनय किया है. उनका आत्मविश्वास, हावभाव और संवाद अदायगी शानदार है. इंदिरा की राजनीतिक कुशलता, साहस और पारिवारिक जटिलताओं को उन्होंने गहराई से पेश किया है. बतौर निर्देशक, कंगना ने अपनी परिपक्वता दिखाई है. कहानी का प्रवाह और दृश्य संयोजन प्रभावशाली हैं.
अभिनय: कौन खरा उतरा, कौन कमजोर?
कंगना के अलावा दिवंगत सतीश कौशिक (जगजीवन राम) ने दिल छू लेने वाला अभिनय किया है. विशाक नायर ने संजय गांधी की भूमिका में प्रभाव छोड़ा है. हालांकि, अनुपम खेर (जेपी नारायण) और श्रेयस तलपड़े (अटल बिहारी वाजपेयी) के अभिनय में वह गहराई नहीं दिखी. दर्शन पांड्या ने आर.के. धवन की भूमिका में असाधारण प्रदर्शन किया है. उनका और विशाक का एक संवाद यादगार बन पड़ा है.
तकनीकी पक्ष और कमजोरियां
फिल्म का मेकअप और प्रोस्थेटिक्स प्रशंसनीय हैं. तेत्सुओ नगाता की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को जीवंत बनाती है. लेकिन संगीत पक्ष बेहद कमजोर है, जो फिल्म की गहराई में बाधा डालता है.
क्यों देखें यह फिल्म?
यह फिल्म नई पीढ़ी को इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व और उनकी ऐतिहासिक भूमिका को समझने का अवसर देती है. यह दिखाती है कि कैसे एक महिला प्रधानमंत्री ने अमेरिका की धमकियों का सामना किया और भारत का सम्मान बनाए रखा. फिल्म का हर सीन दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है. यह सिर्फ इमरजेंसी के दौरान के अत्याचारों की बात नहीं करती, बल्कि इंदिरा गांधी की धैर्य, बुद्धिमत्ता और साहस की कहानी भी कहती है.
अंतिम विचार
‘इमरजेंसी’ सिर्फ एक ऐतिहासिक फिल्म नहीं, बल्कि एक दृष्टि है, जो इंदिरा गांधी के जीवन को नए तरीके से देखने का मौका देती है. कंगना रनौत ने इसे अपने करियर की सबसे परिपक्व फिल्म बना दिया है. हालांकि कुछ कमजोरियां हैं, लेकिन यह फिल्म निस्संदेह देखने लायक है.
रेटिंग: 4/5
इस फिल्म को देखकर न सिर्फ इतिहास को समझिए, बल्कि उस दौर की राजनीति को भी महसूस कीजिए.
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