उदित वाणी, जमशेदपुर: भारत में मकर संक्रांति का पर्व बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही, मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की एक विशिष्ट परंपरा है, जिससे पूरा आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाता है.
जमशेदपुर में मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर बिष्टुपुर के मणि मेला मैदान में युवाओं ने उमंग और उत्साह के साथ पतंगबाजी का आनंद लिया. आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर गया और मकर संक्रांति की खुशी और जोश का वातावरण छा गया.
इस दौरान युवा और बच्चे पतंग उड़ाते हुए आनंदित नजर आए, जिससे लोगों के बचपन की यादें ताजा हो गईं.
पतंगबाजी परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का बेहतरीन तरीका है, जो आपसी संबंधों को और अधिक मजबूत बनाता है. यह परंपरा लोगों को जोड़ने और त्योहार की खुशियां साझा करने का एक अनूठा माध्यम है.
ऐसी धारणा है कि पतंग उड़ाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. आसमान में पतंग का ऊंचाई तक जाना शुभता और सफलता के नए आयामों का प्रतीक है. यह गतिविधि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है और उत्साह का संचार करती है.
तमिल रामायण के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी, जो इतनी ऊंचाई पर पहुंची कि इंद्रलोक तक जा पहुंची. धार्मिक मान्यता के अनुसार, तभी से मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हुई. इसे आनंद और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इसी कारण, इस दिन बच्चे और बड़े सभी पतंग उड़ाकर जीवन में खुशहाली और सफलता की प्रार्थना करते हैं.
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