उदित वाणी, आदित्यपुर: आदित्यपुर और आस-पास के क्षेत्रों में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े ही उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया. स्वर्णरेखा और खरकई नदी के संगम स्थल सापड़ा दोमुहानी, आसंगी चेक डैम, खरकई टीओपी, कुलुपटाँगा, व्यवसायी संघ, नगीनापुरी, सालडीह घाट जैसे प्रमुख स्थलों पर स्थानीय महिला-पुरुषों ने पवित्र स्नान किया और दान पुण्य की क्रियाओं में भाग लिया.
स्वर्णरेखा और खरकई नदी में पवित्र स्नान
सापड़ा दोमुहानी का दृश्य बेहद आकर्षक था, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु नदी के तट पर एकत्रित हुए थे. यहां उन्होंने खरकई नदी में डुबकी लगाकर अपनी आस्था का प्रदर्शन किया. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा के अनुसार दान भी किया. इस दौरान सभी स्थानों पर पवित्रता का वातावरण था.
सूर्य के उत्तरायण के साथ मनाया जाता है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति का त्योहार उस समय मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन सूर्य की उत्तरायण गति की शुरुआत होती है, और इसे शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं. इस दिन जप, तप और दान जैसे धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व होता है.
तिल और गुड़ का विशेष दान
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान अत्यधिक फलदायी माना जाता है. इसके साथ ही खिचड़ी का सेवन और खिचड़ी दान भी इस दिन विशेष रूप से किया जाता है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर फलित होता है. इस दिन को देवताओं का दिन भी माना जाता है, जिससे धार्मिक अनुष्ठान का भी महत्वपूर्ण स्थान है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत उत्साहपूर्ण होता है. यह त्योहार समुदायों के बीच एकता और प्रेम का प्रतीक बनकर लोगों को जोड़ता है.
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