उदित वाणी, बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड के बरागाड़िया पंचायत स्थित बरागाड़िया गांव में सोमवार को आदिवासी समुदाय द्वारा पारंपरिक माअ् मोड़े पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस आयोजन में आदिवासी रीति-रिवाजों का अद्भुत संगम देखने को मिला. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण जाहेरथान में आयोजित पूजा और मांदर की थाप पर किए गए नृत्य रहे.
पारंपरिक पूजा और सांस्कृतिक प्रदर्शन
जाहेरथान में नाईके रबिन बेसरा और आशुतोष गड़माझी ने पारंपरिक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. इस पूजा का उद्देश्य सुख-शांति और समृद्धि की कामना करना था. पूजा के दौरान आदिवासी संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी. पूजा के बाद, आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हुए अपनी संस्कृति का प्रदर्शन कर रहे थे.
समाजसेवियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में समाजसेवी तापस महापात्र और फाल्गुनी घोष मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे. उन्होंने जाहेरथान में माथा टेककर आशीर्वाद लिया और आदिवासी समुदाय की समृद्ध परंपरा की सराहना की. अपने संबोधन में तापस महापात्र ने कहा कि माअ् मोड़े पर्व आदिवासी समुदाय की समृद्ध संस्कृति और एकजुटता का प्रतीक है. यह पर्व हर पांच साल में मनाया जाता है, जो समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मेलजोल को बढ़ावा देता है.
प्रमुख व्यक्तित्वों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख आदिवासी नेताओं ने भी भाग लिया, जिनमें प्रधान विधान बेसरा, पालो मुर्मू, जग माझी, मुंशी बेसरा, प्रमाणिक मंगल बेसरा, राजू बेसरा, देबू सोरेन, राम जीवन सोरेन, शाम मंडी, आनंद बेसरा, चामरू बेसरा, लालटू बेसरा, गुरू बेसरा, रथ बेसरा और गणेश बेसरा जैसे नाम शामिल थे.
आदिवासी संस्कृति का जीवंत रूप
माअ् मोड़े पर्व न केवल आदिवासी समाज की धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उनके सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा भी है. इस पर्व के माध्यम से आदिवासी समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा और सामुदायिक एकता का संदेश दिया. यह आयोजन दर्शाता है कि पारंपरिक त्योहार न केवल आस्था के केंद्र होते हैं, बल्कि संस्कृति को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका भी होते हैं.
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