उदित वाणी, जमशेदपुर: दिनांक 22 दिसंबर को आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव 2024 का समापन हुआ. इस महोत्सव में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, साहित्यिक चर्चाओं, और न्यायिक भाषा के महत्व पर गहन विचार-विमर्श हुआ. महोत्सव के अंतर्गत आयोजित चिंतन-मनन सत्र में विशिष्ट अतिथियों ने अपने विचार साझा किए.
चिंतन-मनन सत्र: न्यायपालिका में हिंदी का स्थान
चिंतन-मनन सत्र में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद सेन, निर्भया कांड की अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाहा और झारखंड बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला उपस्थित रहे. सत्र के समन्वयक श्रीनाथ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा और जियाडा के उपनिदेशक दिनेश रंजन थे.
सत्र की शुरुआत में कौशिक मिश्रा ने न्यायमूर्ति आनंद सेन से यह सवाल किया कि न्यायिक प्रक्रिया प्रायः अंग्रेजी में होती है, तो हिंदी की क्या भूमिका हो सकती है. इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम से उच्च न्यायालय में अधिकांश काम होता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हिंदी की भूमिका नहीं हो सकती. वे मानते हैं कि यदि हम अपनी भाषा में बात करें तो हमें यह डर नहीं होना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे
हिंदी को न्याय की भाषा बनाने के प्रयास
कौशिक मिश्रा ने सवाल किया कि हिंदी के प्रति जो लापरवाह रवैया है, उसे कैसे दूर किया जा सकता है. न्यायमूर्ति ने इस पर कहा कि यदि कोई कहता है कि हिंदी नहीं आती, तो यह गलत है. हमें अपनी भाषा में बात करने में संकोच नहीं करना चाहिए. राजेश शुक्ला ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बांग्ला और उड़िया भाषी लोग भी हिंदी में सहज हैं और यह दिखाता है कि हिंदी का प्रचार अब आम जीवन का हिस्सा बन चुका है.
निर्भया कांड और न्याय की लड़ाई
सीमा कुशवाहा ने निर्भया कांड की कानूनी लड़ाई के अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि यह लड़ाई 2012 से 2020 तक चली और उनका संघर्ष समाज में लिंग भेदभाव को खत्म करने के लिए था. वे मानती हैं कि न्याय का मतलब सिर्फ सजा देना नहीं है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सुरक्षा और सम्मान का वातावरण बनाना भी है.
न्यायपालिका में भाषा का वर्चस्व और मानसिकता में बदलाव
इस सत्र में न्यायमूर्ति ने यह भी बताया कि हिंदी को न्यायपालिका में पूरी तरह से लाना समय लेगा, लेकिन हमें मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता है. आज भी कई लोग यह मानते हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील ही बेहतर होते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं. न्यायमूर्ति ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करें और उसमें आत्मविश्वास रखें.
महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं का आयोजन
महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. इनमें वाक् चातुर्य, लोरी लेखन, रेडियो श्रीनाथ, सूचना सृजन, कहानी से कविता तक, और लघु नाटिका जैसी प्रतियोगिताएं प्रमुख थीं. इन प्रतियोगिताओं में विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों ने भाग लिया और विजेता प्रतिभागियों ने पुरस्कार प्राप्त किए.
प्रतियोगिता के परिणाम:
विजेता प्रतिभागियों की सूची इस प्रकार रही:
• हास्य कवि सम्मेलन
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय – मधुसूदन महतो टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज और साईंनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, गितिलता
• प्रश्नोत्तरी
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय – रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, गितिलता
तृतीय – जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय
• दीवार सज्जा
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय – NIT जमशेदपुर
तृतीय – स्वामी विवेकानंद कॉलेज, कुल्टी कॉलेज
• मुद्दे हमारे विचार आपके
प्रथम – जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी
द्वितीय – कूचबिहार पंचानन वर्मा यूनिवर्सिटी और श्रीनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – महिला कॉलेज, चाईबासा
आदि अन्य प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया गया और विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए.
समापन और आभार
कार्यक्रम के समापन अवसर पर श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति, महाविद्यालयों के प्रतिनिधि, निर्णायक मंडल और छात्रों ने अपने विचार साझा किए. महोत्सव के आयोजकों ने इस महोत्सव की सफलता में योगदान देने वाले सभी प्रतिभागियों, स्वयंसेवकों और निर्णायकों का आभार व्यक्त किया.
यह महोत्सव हिंदी के प्रचार-प्रसार, साहित्यिक विकास और न्याय में भाषा के महत्व को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ.
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