उदित वाणी, जमशेदपुर: आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल ने गदरा गांव में लगभग 100 जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल, 200 व्यक्तियों को नारायण भोज और 200 फलदार पौधों का वितरण किया. यह कार्यक्रम विशेष रूप से क्षेत्रीय समुदाय के कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति के उद्देश्य से आयोजित किया गया.
कीर्तन और भक्ति का महत्व
इस अवसर पर आचार्य मानव मित्रनंद अवधूत ने गांववासियों को भक्ति और कीर्तन के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा, “कीर्तन हमें सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है.” आचार्य जी ने बताया कि हरि का कीर्तन करने से कार्य की तामसिकता कम हो जाती है. इसीलिए, उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे किसी भी कार्य में जाने से पहले 5 मिनट का कीर्तन जरूर करें.
कीर्तन – आत्मिक शांति का स्रोत
आचार्य जी ने कीर्तन को एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास बताया जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है. उन्होंने कहा कि कीर्तन हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपनी आंतरिक शक्ति को प्रकट करने में मदद करता है. इसके माध्यम से हम अपनी संकल्पनाशक्ति, विचारशक्ति और कार्यशक्ति को जागृत कर सकते हैं, जो हमें सफलता, आनंद और समृद्धि की ओर अग्रसर करते हैं.
ध्यान और भक्ति की अद्वितीय विधि
आचार्य जी ने कीर्तन को भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम बताया. इसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है. उन्होंने बताया कि कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है. यह एक विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम का अनुभव कराती है.
मन की संयमता और वैराग्य का प्राप्ति
कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य प्राप्त कर सकते हैं. यह हमें अविरल स्थिति में रहने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे हमारे जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व आ जाता है. आचार्य जी ने यह भी कहा कि कीर्तन एक साधना है जो हमें समाज के बंधनों से मुक्त करती है और हमारी आत्मिक एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव कराती है.
प्रेम, सहानुभूति और एकाग्रता का अनुभव
आचार्य जी ने कीर्तन को प्रेम, सहानुभूति और एकाग्रता की अनुभूति कराने वाला माध्यम बताया. इससे हमारे जीवन को सुख और समृद्धि मिलती है. कीर्तन हमें परम शांति की अवस्था में ले जाता है, जहां हम ईश्वरीय प्रेम और आनंद का अनुभव करते हैं. इसके माध्यम से हम अपने अंतरंग जगत को शुद्ध करते हैं और आनंदमय जीवन का अनुभव करते हैं.
समाज में सामरस्य और सामंजस्य का अनुभव
आचार्य जी ने यह भी बताया कि कीर्तन हमें समस्त जगत के साथ सामरस्य और सामंजस्य का अनुभव करने में मदद करता है. यह हमें एक साथ जोड़ता है और हमें सबके प्रति प्रेम और सेवा की भावना से प्रेरित करता है. इस प्रकार, कीर्तन हमें अद्वैत संबंध की अनुभूति कराता है, जहां हम सभी में ईश्वर का दिव्य आत्मा पहचानते हैं.
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