उदित वाणी नई दिल्ली: उपभोक्ता अक्सर बिना जान-पहचान के प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरे खरीद रहे हैं, क्योंकि बाजार में शब्दावली की कमी के कारण उन्हें इन दोनों के बीच अंतर समझ में नहीं आता। यह स्थिति उपभोक्ताओं को भ्रमित करती है और उन्हें गलत निर्णय लेने पर मजबूर कर देती है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने हाल ही में हीरा उद्योग में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में विशेषज्ञों और उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श किया कि उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिले, खासकर जब बात आती है प्राकृतिक और प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों के बीच अंतर को लेकर।
साफ शब्दावली और पारदर्शी लेबलिंग
यदि आप हीरा खरीदने का सोच रहे हैं, तो आपको यह समझना बेहद जरूरी है कि “हीरा” शब्द का क्या मतलब होता है। क्या आप वाकई में एक प्राकृतिक हीरा खरीद रहे हैं, या फिर आप प्रयोगशाला में तैयार किया गया सिंथेटिक हीरा खरीद रहे हैं? अब, भारतीय कानून के तहत यह साफ किया गया है कि ‘हीरा’ शब्द केवल प्राकृतिक हीरे के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरे को “सिंथेटिक हीरा” कहा जाएगा और इसका स्पष्ट उल्लेख होना जरूरी है।
आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि हाल ही में सरकार ने एक नया नियम जारी किया है, जिसके तहत सभी हीरों को उनकी उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाएगा। यानी अब आपको यह जानकारी मिल सकेगी कि जो हीरा आप खरीद रहे हैं वह प्राकृतिक है या फिर प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। साथ ही, अगर यह प्रयोगशाला में तैयार किया गया है, तो उसकी उत्पादन विधि (जैसे CVD, HPHT आदि) भी आपको बताई जाएगी।
कानूनी ढाँचे से उपभोक्ता को होगा फायदा
आप जैसे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार ने कई कानूनी प्रावधान बनाए हैं। उदाहरण के लिए, कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के तहत, हीरे का वजन ‘कैरेट’ में मापा जाएगा, जो सभी व्यापारिक लेन-देन में समान रहेगा।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने यह सुनिश्चित किया है कि “हीरा” शब्द का उपयोग केवल प्राकृतिक हीरों के लिए किया जाए। अगर कोई दुकानदार प्रयोगशाला में तैयार किया गया हीरा “हीरा” कहकर बेचता है, तो उसे “सिंथेटिक हीरा” के रूप में स्पष्ट रूप से लेबल करना होगा।
इसके अलावा, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भी उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए है। इस कानून के तहत, यदि कोई विक्रेता उपभोक्ता को गलत जानकारी देता है या भ्रामक विज्ञापन करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा।
आने वाली नई दिशा-निर्देशों से क्या होगा?
इस परामर्श में विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि उपभोक्ताओं को हमेशा सही और पारदर्शी जानकारी मिलनी चाहिए। कुछ प्रमुख बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, जिनसे उपभोक्ताओं के लिए हीरा खरीदना और भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा।
स्पष्ट लेबलिंग और प्रमाणीकरण: अब से सभी हीरों की स्पष्ट पहचान होनी चाहिए, जिसमें यह बताया जाएगा कि वह प्राकृतिक हैं या प्रयोगशाला में बने हैं। साथ ही, यदि प्रयोगशाला में तैयार किया गया है, तो उसकी उत्पादन विधि का भी उल्लेख होना चाहिए।
भ्रामक शब्दों पर रोक: प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों को “प्राकृतिक” या “वास्तविक” जैसे शब्दों से नहीं बेचा जा सकेगा। इससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिलेगी और वे सही हीरा खरीद पाएंगे।
हीरा परीक्षण प्रयोगशालाओं का मानकीकरण: परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्रमाणित किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी हीरे की जांच सही तरीके से हो रही है। इससे बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
उपभोक्ता हितों की सुरक्षा की दिशा में कदम
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने इस बैठक में यह घोषणा की कि वह जल्द ही एक मजबूत दिशा-निर्देश जारी करेगा, जो हीरा उद्योग में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, सरकार का लक्ष्य है कि उपभोक्ता अब बिना किसी भ्रम के सही जानकारी के साथ हीरा खरीद सकें और उन्हें बाजार में धोखाधड़ी से बचाया जा सके।
इस कदम से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और वे अपने पैसे को सुरक्षित तरीके से खर्च कर सकेंगे। अब, जब आप अगली बार हीरा खरीदने जाएं, तो आपको पूरी तरह से जानकारी होगी कि आप क्या खरीद रहे हैं और आपके पास सही विकल्प होंगे।
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